Hamirpur News: प्रसव कराने जिला महिला अस्पताल आई महिला को सीएमएस ने ऑपरेशन थियेटर से खून की कमी बताकर भगा दिया। बाद में उसका प्रसव एक निजी अस्पताल में कराया गया। सीएमएस की नाराजगी का कारण महिला के पति द्वारा जच्चा बच्चा सही रखने की विनती करना बताया गया।
सीएमएस के इस व्यवहार से आहत पीड़िता के पति ने जिले के प्रभारी मंत्री मनोहर लाल पंथ से शिकायत की। गुरुवार को जांच के लिए अतिरिक्त एसडीएम कलेक्ट्रेट कर्मचारियों के साथ महिला अस्पताल पहुंचे। वहां की व्यवस्थाएं चेक करने के साथ भर्ती महिलाओं के भी बयान लिए।
जिला महिला चिकित्सालय में प्रसव पीड़िताओं का आर्थिक उत्पीड़न रुकने का नाम नहीं ले रहा। चिकित्सकों की तानाशाही के चलते यहां प्रसव कराने आने वाले प्रसव पीड़िताओं के परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
ऐसा ही मामला बुधवार को सदर कोतवाली क्षेत्र के टिकरौली गांव निवासी प्रभात कुमार सिंह के साथ हुआ। प्रभात ने बताया कि उनकी पत्नी सतरूपा सिंह को प्रसव पीड़ा होने के चलते वह जिला महिला चिकित्सालय लाए। जहां छह हजार रुपये में सीजर प्रसव कराने के लिए छह हजार रुपये जमा कराए गए। साथ ही उसे नर्स ऑपरेशन थियेटर में ले गई।
जैसे ही सीएमएस डॉ. फौजिया अंजुम वहां पहुंची उसने उनसे जच्चा बच्चा सुरक्षित रखने की विनती की। जिससे वह नाराज हो गई और वहां से पत्नी को खून की कमी बता भगा दिया गया। बताया कि जिसके बाद वह एक निजी अस्पताल ले गया। जहां बिना खून की जरुरत बताए सीजर प्रसव कराया गया। मामले की शिकायत उसने मुख्यमंत्री पोर्टल समेत बुधवार को जिले में मौजूद प्रभारी मंत्री मनोहर लाल पंथ से की।
जिस पर जिलाधिकारी के निर्देश पर गुरुवार को अतिरिक्त एसडीएम खालिद अंजुम ने प्रशासनिक अधिकारी व कर्मचारियों के साथ महिला चिकित्सालय पहुंच मामले की जांच के साथ व्यवस्थाएं देखी साथ ही वहां भर्ती महिलाओं के बयान लिए गए। एसडीएम ने बताया कि यह सामान्य निरीक्षण है। शिकायत के संबंध में सीएमएस से बात की गई है। सीएमएस डा. फौजिया अंजुम ने बताया कि न उन्होंने महिला को न भगाया है और न ही रेफर किया है।
उसे उसके परिजन स्वयं लेकर चले गए। कहा कि महिला के पति द्वारा जच्चा बच्चा को सुरक्षित रखने की गारंटी लेने की बात पर बहस की जा रही थी। जिस पर उन्हें समझाया गया कि हम डॉक्टर है भगवान नहीं। इसी बात पर वह उसे ले गए हैं।जो भी आरोप लगाए हैं वह बेबुनियाद हैं।