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बुधवार, 27 सितम्बर,2023

कालाष्टमी पर बन रहा जन्माष्टमी का अनूठा संयोग,आज के दिन पूजा इस तरह करें सम्पन्न, मिलेगी अपरम्पार सफलता

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Kalashtami 2023: इसी के साथ इस दिन ही मासिक कालाष्टमी Masik Kalashtami भी मनाई जाती है. अब ऎसे में इन दोनों का योग बेहद ही शुभ फल प्रदान करता है. आज कालाष्टमी पर जन्माष्टमी का संयोग इस तरह करें पूजा, मिलेगा चमत्कारिक लाभ ।

इस बार जन्माष्टमी के दिन ही कालाष्टमी का पर्व भी मनाया जाएगा. भादो माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी को जन्माष्टमी के रुप में पूजा जाता है इसी के साथ इस दिन ही मासिक कालाष्टमी Masik Kalashtami भी मनाई जाती है. अब ऎसे में इन दोनों का योग बेहद ही शुभ फल प्रदान करता है.

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Kalashtami Janmashtami sanyog; माना जाता है कि इस दिन भगवान श्री विष्णु और काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है और बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं जन्माष्टमी और कालाष्टमी के संयोग पर पर कैसे की जाती है भगवान की पूजा.

importance of Kalashtami Janmashtami yoga: यह दोनों पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ते हैं. यानी इस माह कालाष्टमी 6 सितंबर और जन्माष्टमी भी 6 सितंबर बुधवार को पड़ रही है. इस दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले और भगवान शिव के स्वरूप बाबा काल भैरव की पूजा करने की परंपरा है. वहीं भगवान श्री कृष्ण के पूजन का भी विशेष महत्व होता है. इस दिन बाबा काल भैरव, भोले नाथ के मंदिरों में पूजा-अर्चना की जाती है. साथ में श्री कृष्ण जन्मोत्सव भी मनाया जाता है.

बन रहे हैं कुछ अन्य शुभ योग

जन्माष्टमी अष्टमी रोहिणी नक्षत्र -जन्माष्टमी के दिन ही अष्टमी तिथि के साथ रोहिणी नक्षत्र का योग बनना अत्यंत शुभ होता है. इस योग को जयंती योग के नाम से जाना गया है. शास्त्रों के अनुसार इसी योग में भगवान कृष्ण का जन्म भी हुआ था. अत: जन्माष्टमी के दिन जब भी रोहिणी नक्षत्र के साथ अष्टमी तिथि मिलती है तो जयंती पर्व में जन्माष्टमी मनाई जाती है. यह एक अत्यंत ही शुभ समय माना गया है.

जन्माष्टमी पर बुधाष्टमी योग देता है शुभ फल. इस वर्ष जन्माष्टमी के दिन बुधवार और अष्टमी तिथि का संयोग होने से यह दिन बुधाष्टमी व्रत के रुप से भी मान्य है. इस दिन बुधाष्टमी नामक व्रत की महिमा बहुत ही विशेष मानी गई है. ऎसे में जन्माष्टमी के दिन ही बुधाष्टमी का योग इस दिन के फलों में वृद्धि करने वाला होगा.

Kalashtami 2023 के साथ जन्माष्टमी पूजन महत्व

ऐसा माना जाता है कि इस दिन ऋ काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता दूर हो जाती है और बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है.जन्माष्टमी का उत्सव होने पर कष्टों से मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कालाष्टमी पर जन्माष्टमी का पर्व क्या प्रभाव देता है और इसका महत्व कैसे सभी पर डालता है अपना असर. कैसे की जाती है बाबा भैरव की पूजा के साथ भगवान कृष्ण की पूजा

Kalashtami 2023 पर जन्माष्टमी पूजा विधि Janmashtami Puja Method on Kalashtami

सुबह उठकर व्रत का संकल्प करें. स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनकर मंदिर जाते हैं. भगवान की पूजा करते हैं. इसी के साथ भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है. घर में बाल गोपाल स्वरुप की पूजा कर रहे हैं इसके साथ ही यहां भोलेनाथ और मां पार्वती को भी पूजा जाता है. साथ ही यहां भगवान गणेश को भी स्थापित करते हैं. दूध, दही, फल, धूप, दीप, पंचामृत आदि अर्पित करते हैं. काल भैरव को सरसों का तेल, उड़द की दाल और काले तिल भी अर्पित करते हैं. भगवान का पूजन भक्तों को विशेष फल देता है. इस शुभ समय किया जाने वाला पूजन कई रुपों में विशेष फलों को प्रदान करता है.

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