World News: अलास्का का शहर उत्कियाग्विक मंगलवार को साल का आखिरी सूर्यास्त देख चुका है। अब यह शहर पोलर नाइट में प्रवेश कर गया है। इस दौरान अगले पैंसठ दिनों तक यहां सूरज नहीं निकलेगा। अगला सूर्योदय बाइस जनवरी उन्नीस सौ छब्बीस को होने की उम्मीद है।
उत्कियाग्विक आर्कटिक सर्कल से करीब चार सौ तिरासी किलोमीटर उत्तर में स्थित है। यह उत्तरी अमेरिका का सबसे उत्तरी समुदाय माना जाता है। इस शहर की आबादी लगभग चार हज़ार छह सौ है। पहले इस जगह को बैरो के नाम से जाना जाता था।
पोलर नाइट क्या है
पोलर नाइट लगभग पैंसठ दिनों तक बिना सीधी धूप का समय होता है। इस दौरान सूरज क्षितिज के नीचे रहता है। केवल हल्की सी धुंधली रोशनी दक्षिणी क्षितिज के पास दिखाई देती है। कभी-कभी आसमान में उत्तरी रोशनी भी दिखती है।
सितंबर और मार्च के बीच पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूरज से दूर रहता है। इसी वजह से उत्तरी अक्षांशों में दिन की रोशनी धीरे-धीरे कम होती जाती है। दिसंबर में यह स्थिति अपने चरम पर पहुंच जाती है।
निवासियों के लिए चुनौतियां
पोलर नाइट के दौरान परिस्थितियां बेहद कठिन हो जाती हैं। तापमान अक्सर शून्य फारेनहाइट से काफी नीचे चला जाता है। सूरज की रोशनी की अनुपस्थिति निवासियों के दैनिक जीवन को प्रभावित करती है।
लोगों को अपनी दिनचर्या में विशेष बदलाव करने पड़ते हैं। मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ता है। हालांकि स्थानीय लोग इस मौसम के आदी हो चुके हैं। वे विशेष तैयारियों के साथ इस अवधि का सामना करते हैं।
गर्मियों में उलट स्थिति
वसंत के आगमन के साथ ही दिन की रोशनी धीरे-धीरे वापस लौटती है। मई के मध्य तक स्थिति पूरी तरह बदल जाती है। मई से अगस्त की शुरुआत तक सूरज बिल्कुल भी नहीं डूबता।
इस दौरान लगातार दिन रहता है। यह उत्कियाग्विक की चमकीली गर्मियों का मौसम होता है। यह लंबी सर्दियों की रात के पूरी तरह उलट स्थिति है। गर्मियों में लोग विभिन्न गतिविधियों का आनंद लेते हैं।
भारत में क्यों नहीं होता ऐसा
भारत में द्रास, लेह या गुलमर्ग जैसे ठंडे स्थानों में भी सूरज रोज उगता और डूबता है। सर्दियों में दिन भले छोटे हों, लेकिन सूरज कभी गायब नहीं होता। भारत ध्रुवों से काफी दूर स्थित है।
इस कारण सूरज का रास्ता हमेशा क्षितिज को पार करने के लिए पर्याप्त ऊंचा रहता है। भारत की भौगोलिक स्थिति ऐसी नहीं है कि यहां पोलर नाइट जैसी घटना हो सके। यहां दिन और रात का चक्र नियमित बना रहता है।
ध्रुवों पर दिन-रात का चक्र
आर्कटिक क्षेत्र के कस्बों को कुछ हफ्तों का अंधेरा मिलता है। वहीं दक्षिणी ध्रुव पर लगभग छह महीने लंबी रात होती है। यह पृथ्वी के झुकाव का सबसे ज्यादा असर होता है।
जब आर्कटिक अंधकार में डूबा होता है, तब दक्षिणी ध्रुव पर लगातार सूरज चमकता रहता है। जब आर्कटिक में मिडनाइट सन होता है, तब दक्षिणी ध्रुव अपनी लंबी रात में प्रवेश कर जाता है। यह चक्र हर साल नियमित रूप से दोहराता है।
