शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

हिमाचल प्रदेश में हो रहा जातिवाद का नंगा नाच, सरकार चुप, पुलिस नहीं कर रही कार्यवाही; जानें अपराध के सनसनीखेज मामले

Share

Himachal News: हिमाचल प्रदेश जितना शांत दिखता है उतना शांत असल में है नहीं। यहां आए दिन अपराध बढ़ता चला जा रहा है फिर चाहे वह नशा हो, रेप हो, चोरी-डकैती हो या अनुसूचितजाति और जनजाति के लोगों के ऊपर अत्याचार। अभी हाल में हुई घटनाओं ने हिमाचल में हो रहे जातिगत अपराधों के बारे में एक बड़ा खुलासा किया है।

इन वारदातों से यह तो तय है कि आज भी हिमाचल में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के लोग सुरक्षित नहीं है। पिछले दिनों हिमाचल से जो तीन मामले सामने आए उन्होंने पुलिस और सरकार की पूरी पोल खोलकर रख दी है। इन मामलों से यह लगता है कि पुलिस और सरकार अनुसूचित जाति के लोगों की रक्षा के लिए कुछ नहीं करना चाहती।

दो महिलाओं के साथ बलात्कार

अभी हाल में ही कुल्लू जिला से रेप के दो मामले सामने आए, जिसमें दो अलग-अलग अनुसूचित जाति की महिलाओं को निशाना बनाया गया। उनमें से एक महिला सरकारी कर्मचारी है, जिसके साथ कल्लू के पूर्व एसडीएम विकास शुक्ला व उसके साथियों एक वकील और एक प्रॉपर्टी डीलर ने लंबे समय तक दुर्व्यवहार किया।

पीड़िता की हाई कोर्ट में लगाई याचिका के अनुसार पूर्व एसडीएम ने महिला के साथ कई बार दुष्कर्म किया, मारपीट की और ब्लैकमेल भी किया। इस मामले में पीड़िता ने एसडीएम के ऊपर मारपीट, जबरन गैंगरेप करने की कोशिश और गर्भपात करवाने तक के गंभीर आरोप लगाए हैं। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई विशेष कार्रवाई आरोपी एसडीएम के खिलाफ नहीं हुई है।

गैंगरेप के बाद महिला की हत्या

वही दूसरा मामला कुल्लू जिला के सैंज से निकलकर सामने आया है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक चार लोगों ने एक अनुसूचित जाति की महिला के साथ गैंगरेप किया तथा उसकी हत्या करके सबको पेड़ पर लटका दिया। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक महीने तक पुलिस इस मामले को आत्महत्या का केस साबित करने में लगी रही। पुलिस ने मामले की सही से जांच नहीं की और आरोपियों को छोड़कर पीड़िता के पति को जेल में डाल दिया। यह बेहद गंभीर मामला है और इस मामले में पुलिस की कार्यवाही के ऊपर भी सवाल उठाते हैं। आखिर पुलिस बिना कोई जांच किए किसी भी व्यक्ति को जेल में कैसे डाल सकती है? क्या कुल्लू पुलिस ने मृतका के पति को इसलिए जेल में डाला कि वह अनुसूचित जाति से संबंध रखता है?

यह भी पढ़ें:  झारखंड: पलामू में आधी रात को भिड़े नक्सली और सुरक्षा बल, दो जवान शहीद; एक गंभीर रूप से घायल

जब एक गवाह ने इस मामले का खुलासा किया कि अनुसूचित जाति की महिला की गैंग रेप के बाद हत्या हुई थी और उसने अपनी आंखों से पूरी वारदात को होते हुए देखा था। तब जाकर पुलिस हरकत में आई और चारों आरोपियों को गिरफ्तार किया। यह अपने आप में बेहद शर्मनाक है कि हिमाचल की पुलिस अनुसूचित जाति के लोगों को न्याय नहीं दिलाती है और बिना जांच उनको जेल में डाल देती है।

रोहड़ू में बच्चे के साथ जातिवाद

ऐसा ही प्रताड़ना का एक मामला पिछले दिनों रोहड़ू से सामने आया। सूत्रों के अनुसार एक अनुसूचित जाति का बच्चा उच्च जाति के लोगों के घर या गौशाला के पास चला गया था। जहां पर उच्च जाति की महिलाओं ने उसको पकड़ कर बंधक बना लिया और गौशाला में बंद कर दिया। उसके बाद महिलाओं ने उस बच्चे के घर वालों को फोन करके घर के शुद्धिकरण के लिए बकरे की मांग की।

इस घटना से आहत हुए 12 साल के बच्चे ने जहर खाकर आत्महत्या कर ली। इस मामले को पूरी तरह से दबा दिया गया था। लेकिन जब सोशल मीडिया के ऊपर आवाज उठी तब जाकर पुलिस हरकत में आई और एक महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। सूत्रों की माने तो इस मामले में और भी महिलाएं शामिल थी, जिन्होंने बच्चे को प्रताड़ित किया था। यहां बड़ा सवाल खड़ा होता है कि बाकी महिलाओं को पुलिस ने क्यों छोड़ दिया? 

कुल्लू में तहसीलदार के साथ मारपीट

पिछले कल ऐसा ही एक और मामला हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से सामने आया जहां एक तहसीलदार कुल्लू दशहरा मेले में अपने ड्यूटी कर रहा था। ड्यूटी के दौरान ही देवताओं के कारकूनों ने उसको घेर लिया और सरेआम हजारों लोगों के सामने उसके मारपीट की। जिसका वीडियो सोशल मीडिया के ऊपर वायरल हो गया। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि तहसीलदार अकेला है और उसको लोगों की भीड़ ने घेर रखा है तथा कॉलर से पड़क कर जबरदस्ती ले जाया जा रहा है।

अगर तहसीलदार उन लोगों का विरोध करता तो यह संभव था कि देवता के कारकून उनकी मोबलीचिंग कर देते। आपको बता दें कि यह पीड़ित व्यक्ति भी अनुसूचित जनजाति से संबंध रखता है और कुल्लू में तहसीलदार के पद पर कार्यरत है। जानकारी के मुताबिक लोगों ने तहसीलदार को जबरदस्ती एक देवता के पास ले गए और वहां जबरन नाक रगड़ने पर विवश किया।

यह भी पढ़ें:  गुरुग्राम में रोहित शौकीन की गोली मारकर हत्या, गैंगस्टर ने सोशल मीडिया पर ली जिम्मेदारी

अब इस मामले में कई बातें निकलकर सामने आई है। हमारे सूत्रों के मुताबिक इस तहसीलदार ने पिछले दिनों कुल्लू में अवैध कब्जों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की थी। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है कि अवैध कब्जों के खिलाफ की गई तहसीलदार की कार्रवाई इस घटना का प्रमुख कारण है।

इस मामले में बंजार विधानसभा के विधायक सुरेंद्र शौरी का बयान भी सामने आया है। जिसमें उन्होंने कहा है कि इस तहसीलदार ने पिछले साल 18 देवताओं के शिविर उखाड़े थे। विधायक के बयान से यह साफ जाहिर होता है कि यह तहसीलदार पिछले साल से ही इन लोगों की नजरों में था और यह लोग मौका देख रहे थे कि कैसे इस तहसीलदार को प्रताड़ित किया जा सके। 

अभी इस मामले में एक और नया मोड़ आया है देवता के कारकूनो ने तहसीलदार को सरेआम मीडिया के सामने धमकी दी है कि सुधर जाओ नहीं, तो टांगे तोड़ देंगे। इतना ही नहीं देवता से जुड़े लोगों ने तहसीलदार से शुद्धिकरण का भी खर्चा मांगा है। अब समझ यह नहीं आ रहा कि उन्होंने यह खर्चा क्यों मांगा है।

यहां एक बड़ा प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है कि क्या देवता से जुड़े लोगों ने यह शुद्धिकरण का खर्चा इसलिए मांगा है कि तहसीलदार अनुसूचित जनजाति से संबंध रखता है। क्योंकि हिमाचल में देवता की पालकी को उनके कारकून खुद जूते पहनकर उठते है। इसलिए शुद्धिकरण के लिए खर्चे की मांग जूतों से संबंधित तो नहीं हो सकती।

आपको यह जानकर हैरानी होगी की कल्लू के दशहरे में हजारों लोगों के सामने यह पूरी वारदात हुई है लेकिन उसके बावजूद अभी तक इस मामले में पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की है। जबकि ऐसे मामलों में पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी और तहसीलदार का बयान लेकर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए थी। क्योंकि एक फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट पर इस तरह का हमला अपने आप में एक गंभीर अपराध है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News