Shimla News: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने अनुबंध सेवा और वरीयता से जुड़े मामले में अहम व्यवस्था दी है। अदालत ने अनुबंध सेवा को नियमित सेवा के साथ जोड़ते हुए वरिष्ठता और पदोन्नति के लिए गिने जाने के आदेश दिए हैं।
न्यायाधीश सत्येन वैद्य ने अनुबंध सेवा को नियमित सेवा के साथ जोड़ते हुए वरिष्ठता का लाभ न देने वाली लोक निर्माण विभाग के अभियंता की वरीयता सूची को रद्द कर दिया है। अदालत ने विभाग को आदेश दिए कि अभियंता (विद्युत) की वरीयता सूची को दोबारा से तैयार किया जाए और याचिकाकर्ताओं की अनुबंध सेवा को नियमित सेवा के साथ जोड़ते हुए वरिष्ठता का लाभ दिया जाए।
अदालत ने राकेश कुमार शर्मा और अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए यह निर्णय सुनाया। अदालत को बताया था कि याचिकाकर्ता की नियुक्ति वर्ष 2010 से 2013 के बीच अनुबंध आधार की थी। उनकी सेवाओं को वर्ष 2016 और 2017 में नियमित किया गया था। आरोप था कि प्रतिवादियों को वर्ष 2013 और 2017 के बीच पदोन्नति से अभियंता (विद्युत) के पद पर नियुक्त किया गया। विभाग की ओर से 31 दिसंबर 2022 को जारी वरीयता सूची के तहत प्रतिवादियों को याचिकाकर्ताओं से वरिष्ठ का दर्जा दिया था। आरोप था कि प्रतिवादी की नियुक्ति याचिकाकताओं से काफी बाद में हुई है।
विभाग की ओर से दलील दी गई कि याचिकाकर्ताओं को पहले अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया था। बाद में उनकी सेवाओं को प्रतिवादियों की नियुक्ति के बाद नियमित किया गया। याचिकाकर्ता की अनुबंध सेवा को वरिष्ठता के लिए नहीं गिना जा सकता है। अदालत ने रिकॉर्ड का अवलोकन पर पाया कि विभाग ने अभियंता (विद्युत) की वरीयता सूची गलत तरीके से बनाई है। याचिकाकर्ताओं की अनुबंध सेवा को नियमित सेवा के साथ नहीं जोड़ा गया है। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट और हिमाचल हाईकोर्ट के निर्णय के आधार पर याचिकाकर्ताओं की अनुबंध सेवा को नियमित सेवा के साथ जोड़ते हुए वरिष्ठता और पदोन्नति के लिए गिने जाने के आदेश दिए हैं।