Delhi News: नई दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन 2023 की शुरुआत हो चुकी है। पिछले G20 शिखर सम्मेलनों में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जो उपदेश दिए थे, इस समय उन्हें याद करना सही होगा।
नवंबर 2014 के ब्रिस्बेन G20 शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने “आर्थिक अपराधियों के लिए सुरक्षित पनाहगाहों को ख़त्म करने”, “मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल लोगों को ट्रैक करने और बिना शर्त प्रत्यर्पण करने” के लिए वैश्विक सहयोग का आह्वान किया था। उन्होंने भ्रष्टों और उनके कार्यों को छिपाने में सहायक “अंतरराष्ट्रीय नियमों एवं जटिलताओं के जाल को तोड़ने” की भी अपील की थी।
वर्ष 2018 के ब्यूनस आयर्स G20 शिखर सम्मेलन में, प्रधानमंत्री ने “भगोड़े आर्थिक अपराधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई और संपत्ति की वसूली के लिए” नौ सूत्री एजेंडा प्रस्तुत किया था।
भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के मामले में प्रधानमंत्री के वे उपदेश पूरी तरह से हास्यास्पद लगते हैं। क्योंकि हाई लेवल के भ्रष्टाचार और आर्थिक अपराधों में उनकी मिलीभगत गंभीर रूप से सबके सामने है। प्रधानमंत्री ने न सिर्फ़ अपने पास मौजूद सभी टूल्स का इस्तेमाल करके पोर्ट्स, एयरपोर्ट्स, बिजली और सड़क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अपने क़रीबी मित्र अडानी के लिए मोदी- निर्मित एकाधिकार (Modi-made Monopolies- 3M ) स्थापित करने में मदद की है। उन्होंने SEBI, CBI, ED, राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय जैसी विभिन्न एजेंसियों द्वारा अडानी के ग़लत कार्यों की सभी जांच को भी सुनियोजित ढंग से बंद कर दिया है।
ये सब इसलिए किया गया ताकि टैक्स हेवन उनके क़रीबी दोस्तों के लिए सुरक्षित रहे और वे अत्यधिक बैंकिंग गोपनीयता और जटिल अंतरराष्ट्रीय नियमों का लाभ उठाते रहें। यह खुलासा हुआ है कि कम से कम दो अपारदर्शी फंड्स – जिन पर राउंड ट्रिपिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन के आरोप हैं- सीधे तौर पर अडानी से जुड़े हुए हैं। यह इस बात का सबसे ताज़ा उदाहरण है कि कैसे एजेंसियों को कमज़ोर करके उन्हें अडानी की सहायता और पीएम मोदी के कॉरपोरेट हित को साधने के लिए लगा दिया गया है।
किसी और ने नहीं, सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है कि कैसे SEBI ने विदेशी फंड्स के वास्तविक मालिक (स्वामित्व ) की रिपोर्टिंग की आवश्यकता को ख़ुद ही हटा दिया था। हालांकि जून 2023 में इसमें बदलाव करके फिर से विदेशी फंड्स के वास्तविक मालिक की पहचान को सामने लाने वाले पहले जैसे प्रावधान को लागू करने की कोशिश की गई – रिपोर्टिंग की आवश्यकता को फिर से शुरू किया गया। लेकिन तब तक अडानी को काफ़ी फ़ायदा पहुंच चुका था। क्या ऊपर से दबाव के बिना ऐसा किया जा सकता था? यहां ध्यान देने वाली बात है। कि इसने UK सिन्हा के जाने के काफ़ी समय बाद उन आवश्यकताओं को हटाया था। ये वही UK सिन्हा हैं जो पहले अडानी मामले में DRI जांच पर कार्रवाई करने में विफल रहे और बाद में अडानी के स्वामित्व वाले NDTV के बोर्ड में शामिल हुए। यह एक बड़ी साज़िश का संकेत है।
जिस तरह से, आसानी से, भाजपा ने नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल “भाई” चोकसी और विजय माल्या जैसे आर्थिक अपराधियों को देश से भागने दिया, उसे देखते हुए भी प्रधानमंत्री का “नौ सूत्री एजेंडा” उतना ही हास्यास्पद लगता है। सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि वह हाल के वर्षों में 72 प्रमुख आर्थिक अपराधियों में से केवल दो को ही वापस ला पाई है।
G20 का उद्देश्य सकारात्मक पहल के लिए विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं का एक मंच पर आना है। इसका उद्देश्य वैश्विक समस्याओं से सहयोगात्मक ढंग से निपटना है। राष्ट्रपति पुतिन भले ही दूर रहे हों लेकिन प्रिंस पोटेमकिन फूल डिस्प्ले में नज़र आ रहे हैं। झुग्गियों को या तो ढक दिया गया है या ध्वस्त कर दिया गया है, जिससे हज़ारों लोग बेघर हो गए। सिर्फ़ प्रधानमंत्री की छवि को चमकाने के लिए आवारा पशु बेरहमी से पकड़े गए हैं और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया है। G20 का नारा “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य” है। लेकिन प्रधानमंत्री वास्तव में “एक व्यक्ति, एक सरकार, एक पूंजीपति” में विश्वास करते हैं।