Epstein Files: अमेरिकी एपस्टीन फाइल्स में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम प्रमुखता से उभरा है। 19 दिसंबर 2025 को ये दस्तावेज सार्वजनिक होंगे। ईमेल्स दिखाते हैं कि जेफरी एपस्टीन ने 2019 में मोदी से स्टीव बैनन की बैठक कराने की कोशिश की। हारदीप सिंह पुरी और अनिल अंबानी के कनेक्शन भी सामने आए। ये खुलासे भारत-अमेरिका संबंधों पर सवाल उठा सकते हैं।
मोदी-बैनन बैठक का प्रस्ताव
एपस्टीन ने मई 2019 में बैनन को मैसेज भेजा। मोदी की दूसरी जीत के दिन ही ये हुआ। एपस्टीन ने लिखा, “मोदी ऑन बोर्ड”। वह चीन विरोधी रणनीति पर चर्चा चाहता था। बैनन ने जवाब दिया, “प्लीज”। एपस्टीन ने बैठक की तारीख पूछी। ये ईमेल हाउस ओवरसाइट कमिटी ने जारी किए।
ड्रॉप साइट न्यूज ने 18,000 ईमेल विश्लेषित किए। ये याहू इनबॉक्स से हैं। रिपोर्ट कहती है कि एपस्टीन ने मोदी को प्रभावित करने की कोशिश की। बैनन के जवाब रिडैक्टेड हैं। लेकिन समय और जगह बैनन से मेल खाते हैं। ये खुलासा एपस्टीन के वैश्विक नेटवर्क को उजागर करता है।
हारदीप पुरी के साथ पुरानी मीटिंग्स
एपस्टीन के कैलेंडर में 2014 से 2017 तक पुरी के साथ कई अपॉइंटमेंट्स हैं। ये यूएन जनरल असेंबली और क्लाइमेट समिट के दौरान हुए। पुरी तब बीजेपी नेता थे। अब पेट्रोलियम मंत्री हैं। ईमेल में इन मीटिंग्स का जिक्र है।
बीजेपी ने इसे नाम ड्रॉपिंग बताया। कांग्रेस ने स्पष्टीकरण मांगा। द हिंदू ने रिपोर्ट किया कि ये ईमेल 11 साल पुराने हैं। एपस्टीन ने पुरी को साइडलाइन्स पर आमंत्रित किया। लेकिन कोई प्रत्यक्ष अपराध का सबूत नहीं। ये कनेक्शन भारत की विदेश नीति पर नजर डालते हैं।
अंबानी और भारत-इजराइल डील
एपस्टीन के ईमेल में अनिल अंबानी का आईडी आया। वह भारत-इजराइल संबंधों पर चर्चा कर रहे थे। एक संयुक्त उद्यम का जिक्र है। ये इजराइली डिफेंस फर्म से जुड़ा। एपस्टीन ने प्रभावशाली लोगों से संपर्क बनाए।
जैकबिन मैगजीन ने लिखा कि एपस्टीन युद्धवादी नीतियां चाहता था। वह ईरान न्यूक्लियर डील का विरोध करता था। भारत को चीन के खिलाफ यूज करने की सलाह दी। ये ईमेल 2019 के हैं। अंबानी का नाम डिफेंस डील्स से लिंक होता है।
राजनीतिक विवाद तेज
बीजेपी और कांग्रेस के बीच बहस छिड़ी। सोशल मीडिया पर तीखे कमेंट्स आ रहे। प्रिथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि 19 दिसंबर तक बड़ा बदलाव हो सकता। एक्स पर यूजर्स मोदी के इस्तीफे की बात कर रहे। लेकिन ये स्पेकुलेशन हैं।
एनपीआर ने रिपोर्ट किया कि एपस्टीन के ईमेल्स में कई प्रभावशाली नाम हैं। क्लिंटन, ट्रंप, गेट्स शामिल। मोदी का जिक्र भारत के संदर्भ में है। द वायर ने कहा कि एपस्टीन ने बैनन को मोदी से मिलने के लिए दबाव डाला।
19 दिसंबर का इंतजार
ट्रंप ने 19 नवंबर को एपस्टीन फाइल्स ट्रांसपेरेंसी एक्ट साइन किया। 30 दिनों में रिलीज होगी। ये दस्तावेज जांच, ईमेल और फोटोज शामिल करेंगे। पीड़ितों की गोपनीयता बरती जाएगी। लेकिन राजनीतिक नाम खुले रहेंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने कश पटेल पर फोकस किया। वह एफबीआई डायरेक्टर हैं। एपस्टीन फाइल्स में उनका नाम आ सकता। ये भारतीय मूल के हैं। विवाद बढ़ रहा। दुनिया मोदी के कनेक्शन पर नजर रखेगी।
एपस्टीन का नेटवर्क गहरा था। ईमेल्स दिखाते हैं कि वह जियोपॉलिटिक्स में दखल देता। भारत का नाम कई जगह आया। ये खुलासे कूटनीति बदल सकते। कमिटी ने कहा कि फुल डिस्क्लोजर जरूरी।
