Delhi News: नई संसद के उद्घाटन समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को शामिल नहीं करने पर सवाल उठा रही याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गई है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करना संविधान का उल्लंघन है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति भी नहीं दी। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी त्रिकोणीय आकार के नए संसद भवन का उद्घाटन करने जा रहे हैं।
शीर्ष न्यायालय की बेंच ने कहा, ‘हमें पता है कि आप ऐसी याचिकाएं क्यों दाखिल करते हैं। हम इस पर विचार नहीं करना चाहते हैं। शुक्रगुजार रहें कि हमने आप पर जुर्माना नहीं लगाया है।’ दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने समारोह में न्योते में राष्ट्रपति को शामिल नहीं किए जाने को लेकर याचिका दायर की थी। इसके अलावा सियासी गलियारों में भी इसपर जमकर विवाद जारी है।
याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि एडवोकेट सीआर जया सुकिन को याचिका दायर करने का अधिकार नहीं है। इधर, सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने की भी अपील की, लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली। एसजी तुषार मेहता का कहना था, ‘याचिका वापस लेने की अनुमति देने से उन्हें हाईकोर्ट जाने की आजादी मिल जाएगी। यह न्यायपूर्ण नहीं है। कोर्ट को यह देखना चाहिए।’
याचिका में क्या
एडवोकेट सुकिन ने कहा था कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय की तरफ से जारी बयान और लोकसभा महासचिव की तरफ से जारी निमंत्रण पत्र भारतीय संविधान का उल्लंघन हैं। याचिका के अनुसार, ‘राष्ट्रपति भारत की प्रथम नागरिक हैं और संसद की प्रमुख हैं…। देश के संबंध में सभी अहम फैसले भारतीय राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं।’
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 के हवाले से कहा गया था कि राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग हैं और उन्हें उद्घाटन समारोह से दूर नहीं रखा जाना चाहिए।