शनिवार, दिसम्बर 27, 2025

सोशल मीडिया पर अब तक का सबसे बड़ा ‘अटैक’, सेना से लेकर स्कूलों तक कड़े नियम होंगे लागू!

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National News: क्या सोशल मीडिया की बेतहाशा आज़ादी अब खत्म होने वाली है? दुनिया भर में डिजिटल लत और सुरक्षा खतरों के खिलाफ एक बड़ी जंग शुरू हो गई है। हालात यह हैं कि उत्तर प्रदेश के स्कूलों में बच्चों को स्क्रीन से दूर कर अखबार थमाए जा रहे हैं। वहीं, भारतीय सेना ने अपने जवानों के लिए सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर बेहद कड़े नियम लागू कर दिए हैं। इतना ही नहीं, कोर्ट ने अब बच्चों के लिए इस आभासी दुनिया पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की बात कही है।

सेना का नया ‘व्यू-ओनली’ प्लान

भारतीय सेना ने सोशल मीडिया को लेकर एक बहुत ही सुरक्षित और रणनीतिक कदम उठाया है। सेना ने अपने जवानों और अधिकारियों को इंस्टाग्राम, यूट्यूब और एक्स (Twitter) का इस्तेमाल करने की छूट दी है, लेकिन एक शर्त पर। यह शर्त है ‘व्यू-ओनली मोड’। इसका मतलब है कि जवान केवल पोस्ट देख सकेंगे। वे न तो किसी पोस्ट को लाइक कर पाएंगे, न कमेंट करेंगे और न ही किसी को फॉलो कर पाएंगे।

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सेना ने इसे ‘पैसिव पार्टिसिपेशन’ का नाम दिया है। इसका मुख्य उद्देश्य जवानों को सोशल मीडिया पर चल रही सूचनाओं से अपडेट रखना है। इससे वे दुश्मन की ओर से फैलाई जा रही फर्जी खबरों और प्रोपेगेंडा को पहचान सकेंगे। वे इसकी जानकारी तुरंत अपने अधिकारियों को दे पाएंगे।

16 साल से कम उम्र के बच्चों पर बैन?

मद्रास हाईकोर्ट ने भी सोशल मीडिया के बढ़ते दुष्प्रभावों पर गहरी चिंता जताई है। कोर्ट की मदुरै बेंच ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया है कि वे बच्चों के लिए कड़े नियम बनाएं। कोर्ट ने ऑस्ट्रेलिया के नए कानून का हवाला दिया है। ऑस्ट्रेलिया ने 9 दिसंबर से 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट बनाने पर पूरी तरह रोक लगा दी है।

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हाईकोर्ट ने इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ISP) के लिए भी सख्त नियम बनाने को कहा है। कोर्ट का मानना है कि ‘पेरेंटल कंट्रोल’ सिस्टम अनिवार्य होना चाहिए। इससे माता-पिता यह तय कर पाएंगे कि उनके बच्चे ऑनलाइन क्या देख रहे हैं। यह कदम बच्चों को आपत्तिजनक सामग्री से बचाने के लिए जरूरी बताया गया है।

यूपी के स्कूलों में ‘अखबार’ की वापसी

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी बच्चों को सोशल मीडिया और मोबाइल की लत से बचाने के लिए एक अनोखी पहल शुरू की है। अब स्कूलों में सुबह की प्रार्थना के बाद बच्चे सीधे क्लास में नहीं जाएंगे। वे पहले जोर-जोर से अखबार पढ़ेंगे। सरकार का मानना है कि इससे छात्र रील और वीडियो की दुनिया से बाहर निकलेंगे। अखबार पढ़ने से उनकी शब्दावली बेहतर होगी और वे देश-दुनिया की असली खबरों से जुड़ सकेंगे। यह तरीका छात्रों में सोचने और समझने की शक्ति को बढ़ाएगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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