World News: ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने भारत की तारीफ करते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी भारत की सदी है। आने वाले चार से पांच दशकों में भारत का प्रधानमंत्री विश्व का नेतृत्व कर सकता है।
उन्होंने कहा कि भारत अब वैश्विक ताकत के रूप में उभर रहा है। भारत को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के मुकाबले लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में भूमिका निभानी चाहिए। एबॉट ने भारत को ऑस्ट्रेलिया का मजबूत और भरोसेमंद साझेदार बताया। उन्होंने भारत की लोकतांत्रिक महाशक्ति बनने की क्षमता को रेखांकित किया।
चीन के मुकाबले भारत की ताकत
एबॉट ने कहा कि भारत चीन के लिए एक मजबूत संतुलन के रूप में उभर रहा है। भारत के पास तीन बड़ी ताकतें हैं – लोकतंत्र, कानून का शासन और अंग्रेजी भाषा का ज्ञान। इनके बल पर भारत वही आर्थिक और सैन्य उड़ान भरने की तैयारी में है। चीन ने यह उड़ान कुछ दशक पहले हासिल की थी।
भारत अब दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। देशभर में बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं चल रही हैं। नए एयरपोर्ट, सड़कों और विकास कार्यों से भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है। एबॉट ने कहा कि वह प्रधानमंत्री रहते हुए कहा करते थे कि भारत लोकतांत्रिक महाशक्ति बनकर उभरेगा।
वैश्विक भूमिका और जिम्मेदारी
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को वैश्विक भूमिका की जिम्मेदारी निभानी चाहिए। भारत ने ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के साथ जो मुक्त व्यापार समझौते किए हैं, वे महत्वपूर्ण हैं। यह समझौते संकेत देते हैं कि लोकतांत्रिक दुनिया चीन से दूरी बना रही है। भारत लोकतांत्रिक देशों के लिए एक बेहतर विकल्प है।
एबॉट ने कहा कि बीजिंग की विश्व पर वर्चस्व की महत्वाकांक्षा को रोकने की कुंजी दिल्ली के पास है। चीन हावी होना चाहता है और यह उसके सभी पड़ोसियों के लिए खतरे की घंटी है। भारत इस खतरे का संतुलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
ताइवान को लेकर चेतावनी
एबॉट ने ताइवान को लेकर चीन की आक्रामक नीति के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देशों को इस खतरे के लिए तैयार रहना होगा। सबसे अच्छा तरीका यह है कि चीन के शांतिपूर्ण इरादों का दिखावा न किया जाए। चीन को हर दिन यह बताया जाए कि वह घुसपैठ करके बच नहीं सकता।
उन्होंने कहा कि कमजोरी ही उकसावे का कारण बनती है। एबॉट ने कोरियाई युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि स्थिति बिगड़ सकती है। सभी देशों को मिलकर ताइवान की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। लोकतांत्रिक देशों की एकजुटता ही चीन की आक्रामकता को रोक सकती है।
अमेरिका की रणनीतिक गलतियां
ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री ने अमेरिका की नीतियों पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर गलत कदम उठाया। भारत पर रूसी तेल खरीदने पर पच्चीस प्रतिशत टैक्स लगाना गलत था। चीन जैसे देश ज्यादा तेल खरीद रहे थे और उन पर ऐसा कोई टैक्स नहीं लगा।
एबॉट ने कहा कि वह ट्रंप का समर्थक हैं लेकिन यह कदम गलत था। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने शीत युद्ध के दौरान भी बड़ी रणनीतिक गलती की। अमेरिका ने भारत की बजाय पाकिस्तान का साथ दिया। पाकिस्तान मूल रूप से एक सैन्य समाज है जबकि भारत मजबूत लोकतंत्र है।
भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंध
एबॉट ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच संबंधों को मजबूत बताया। उन्होंने कहा कि दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं। भारत ऑस्ट्रेलिया का भरोसेमंद साझेदार बन सकता है। दोनों देशों के बीच हुए मुक्त व्यापार समझौते से संबंधों को मजबूती मिली है।
उन्होंने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया की साझेदारी क्षेत्रीय स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। दोनों देश चुनौतियों का सामना मिलकर कर सकते हैं। एबॉट ने भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की सफलता पूरी लोकतांत्रिक दुनिया की सफलता होगी।
