शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

1857 की क्रांति: मंगल पांडेय ने नहीं दलित नायक मातादीन भंगी ने लिखी थी विद्रोह की असली पटकथा, यहां पढ़ें उनकी अनकही कहानी

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Kolkata News: 1857 के स्वतंत्रता संग्राम को देश का पहला स्वाधीनता युद्ध माना जाता है। इतिहास में मंगल पांडेय को इसकी शुरुआत करने वाला नायक बताया गया है। पर एक ऐसा हीरो है जिसका नाम किताबों में शायद ही दर्ज है। वह हैं मातादीन भंगी, एक दलित मजदूर। माना जाता है कि उन्होंने ही क्रांति की चिंगारी सुलगाई थी।

यह घटना मार्च 1857 की है। बैरकपुर छावनी कोलकत्ता के पास स्थित थी। पास की एक फैक्ट्री में कारतूस बनाने का काम चल रहा था। वहां काम करने वाले ज्यादातर मजदूर मुसहर जाति के थे। मातादीन भंगी भी उनमें से एक थे। एक दिन वह छावनी के अंदर आए।

मातादीन को तेज प्यास लगी थी। उन्होंने एक सैनिक से पानी मांगा। वह सैनिक मंगल पांडेय थे। मंगल पांडेय ने ऊंची जाति का होने का हवाला देकर पानी देने से मना कर दिया। इससे मातादीन को गहरा दुख हुआ और वह क्रोधित हो उठे।

मातादीन ने मंगल पांडेय से एक सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि तुम्हारा धर्म एक प्यासे को पानी पिलाने की इजाजत नहीं देता। लेकिन तुम गाय और सूअर की चर्बी लगे कारतूसों को मुंह से क्यों खोलते हो? यह सुनकर मंगल पांडेय हैरान रह गए।

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मंगल पांडेय को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने तुरंत मातादीन को पानी पिलाया। इस घटना ने उनके मन में अंग्रेजों के खिलाफ गुस्से की लहर पैदा कर दी। उन्होंने यह बात छावनी के अन्य सैनिकों को बताई।

यह जानकारी सभी जवानों में फैल गई। हिंदू और मुसलमान सैनिक दोनों ही इस बात से नाराज हो गए। कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी का इस्तेमाल उनके धार्मिक विश्वासों के खिलाफ था। इसने विद्रोह की नींव रखी।

29 मार्च 1857 को मंगल पांडेय ने खुलेआम विद्रोह कर दिया। उन्होंने अंग्रेज अधिकारियों पर हमला बोल दिया। इस घटना ने बगावत की आग को हवा दे दी। मंगल पांडेय को गिरफ्तार कर लिया गया और बाद में उन्हें फांसी दे दी गई।

लेकिन यह आग थमी नहीं। एक महीने बाद 10 मई 1857 को मेरठ की छावनी में भी बगावत हो गई। यह विद्रोह तेजी से पूरे उत्तरी भारत में फैल गया। कई शहरों में अंग्रेजी शासन के खिलाफ लड़ाई शुरू हो गई।

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अंग्रेजों ने इस विद्रोह को दबाने के लिए कड़ी कार्रवाई की। उन्होंने एक चार्जशीट तैयार की। इसमें विद्रोह के मुख्य आरोपियों के नाम दर्ज किए गए। इस सूची में सबसे पहला नाम मातादीन भंगी का था।

इससे साबित होता है कि अंग्रेज मातादीन की भूमिका को गंभीरता से ले रहे थे। वे जानते थे कि उनकी वजह से ही यह विद्रोह शुरू हुआ था। दुर्भाग्य से, मातादीन का नाम इतिहास की मुख्यधारा की किताबों में गायब रहा।

यह घटना दलित समुदाय के योगदान को रेखांकित करती है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सामाजिक भेदभाव के बावजूद उन्होंने देश के लिए लड़ाई लड़ी। मातादीन भंगी जैसे नायकों को याद रखना जरूरी है।

दलितों ने हर क्षेत्र में अपनी भूमिका निभाई है। चाहे सामाजिक बदलाव हो या देश की रक्षा, उनका योगदान अतुलनीय रहा है। 1857 की क्रांति की शुरुआत एक दलित मजदूर के सवाल से हुई। यह तथ्य इतिहास के एक अलग पन्ने को सामने लाता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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