Southeast Asia News: थाईलैंड और कंबोडिया ने मलयेशिया में हुई वार्ता के बाद युद्धविराम पर सहमति जताई। मलयेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की मध्यस्थता में यह समझौता हुआ। दोनों देशों के बीच पांच दिनों से सीमा पर भीषण संघर्ष चल रहा था। अमेरिका और चीन के राजदूत भी वार्ता में शामिल थे। कंबोडिया के प्रधानमंत्री हुन मानेट ने इसे अमेरिकी पहल बताया।
पांच दिनों तक चली हिंसक झड़पें
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 817 किलोमीटर लंबी सीमा पर गुरुवार से गोलीबारी और हवाई हमले हो रहे थे। दोनों देश एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाते रहे। कंबोडिया ने थाईलैंड पर नागरिक क्षेत्रों में हमले का दावा किया, जबकि थाईलैंड ने इसे खारिज किया। सोमवार को भी सीमा पर झड़पें हुईं। इस हिंसा में कई लोग मारे गए और हजारों विस्थापित हुए।
थाईलैंड की शंका, ट्रंप की चेतावनी
थाईलैंड के कार्यवाहक प्रधानमंत्री फुमथम वेचयाचाई ने वार्ता से पहले कंबोडिया की मंशा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि कंबोडिया के कदम शांति की दिशा में गंभीरता नहीं दिखाते। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों को व्यापार समझौते रोकने की चेतावनी दी थी। इसके बाद मलयेशिया में युद्धविराम वार्ता शुरू हुई। अमेरिका और चीन की मध्यस्थता ने भी इसमें भूमिका निभाई।
सीमा पर तबाही, गांव हुए खाली
थाईलैंड के सिसाकेत प्रांत में हिंसा से कई गांव खाली हो गए। घर, बिजली लाइनें और दुकानें तबाह हो गईं। सड़कों पर केवल सेना की गाड़ियां दिखीं। आसमान में तोपों की आवाजें गूंज रही थीं। कंबोडिया के ओड्डार मियानचे प्रांत में भी 5,000 लोग विस्थापित हुए। युद्धविराम के बावजूद, सीमा पर तनाव बरकरार है और सैनिकों की तैनाती बढ़ाई गई है।
ऐतिहासिक मंदिरों पर विवाद की जड़
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच विवाद का कारण प्रेह विहेयर और ता मोआन थॉम मंदिर हैं। 1962 में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने प्रेह विहेयर को कंबोडिया का हिस्सा माना। 2008 में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की कोशिश से तनाव बढ़ा। दोनों देशों में राष्ट्रवादी भावनाओं ने इस संघर्ष को और भड़काया। यह विवाद दशकों से अनसुलझा है।
