शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

तेजस लड़ाकू विमान: भारतीय वायुसेना को मिलेंगे 97 और नए तेजस Mk-1A, 66 हजार करोड़ का अनुबंध जल्द

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New Delhi: भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ साठ हजार करोड़ रुपये से अधिक के एक बड़े अनुबंध पर हस्ताक्षर करने जा रहा है। इस सौदे के तहत एचएएल कंपनी भारतीय वायुसेना के लिए सत्तानवे नए तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान बनाएगी। इससे पहले तेजस के तिरासी विमानों का ऑर्डर भी दिया जा चुका है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने इस खरीद को पिछले महीने ही मंजूरी दे दी थी। सूत्रों के मुताबिक नया अनुबंध अगले साल अक्टूबर तक में साइन हो जाएगा। यह सौदा तभी पूरा होगा जब एचएएल पहले ऑर्डर के दो विमान वायुसेना को सौंप देगा। कंपनी ने पहले ही दस नए विमान तैयार कर लिए हैं।

विमानों के निर्माण में इंजन की आपूर्ति एक बड़ी चुनौती थी। अमेरिकी कंपनी जीई एयरोस्पेस से इंजन मंगाए जाते हैं। अब इस मामले में राहत मिली है। कंपनी ने अब तक तीन इंजन भेज दिए हैं और सात दिसंबर तक और दे दिए जाएंगे। अगले साल बीस और इंजन आने वाले हैं। इससे विमानों के निर्माण में हो रही देरी खत्म होगी।

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मिसाइल परीक्षण का काम जारी

नए तेजस विमानों की क्षमता का परीक्षण भी जारी है। एएसआरएएम मिसाइल के परीक्षण पूर्वी सेक्टर में शुरू हो चुके हैं। इसके बाद अस्त्र बियोंड विज़ुअल रेंज मिसाइल का परीक्षण किया जाएगा। मिसाइल दागना किसी भी लड़ाकू विमान की क्षमता को साबित करने का सबसे कठिन परीक्षण होता है। इन सभी परीक्षणों के पूरे होने के बाद ही विमान वायुसेना में शामिल किए जाएंगे।

एचएएल की वर्तमान उत्पादन क्षमता सालाना चौबीस विमानों की है। कंपनी ने इस क्षमता को बढ़ाने का भी लक्ष्य रखा है। इस बड़े ऑर्डर से देश की रक्षा उत्पादन क्षमता को बहुत बल मिलेगा। साथ ही भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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ट्रेनर विमान भी होंगे उन्नत

नए अनुबंध के तहत मिलने वाले उनतीस ट्रेनर जेट पहले से कहीं अधिक उन्नत होंगे। इनमें उत्तम एईएसए रडार और आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली लगाई जाएगी। इससे पायलटों के प्रशिक्षण का स्तर और बेहतर हो सकेगा। नई तकनीक से लैस ये विमान देश की हवाई सुरक्षा को मजबूती प्रदान करेंगे।

यह सौदा भारतीय वायुसेना के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न सिर्फ विमानों की संख्या बढ़ेगी बल्कि पुराने मिग-इक्कीस जैसे विमानों की जगह नए और आधुनिक विमान ले सकेंगे। स्वदेशी तकनीक से बने ये विमान देश की रक्षा तैयारियों को एक नई दिशा देंगे। इससे देश के रक्षा उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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