India News: मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने किशोरों की एक नई आदत पर चिंता जताई है। आजकल किशोर अपनी समस्याएं और भावनाएं किशोर मानसिक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए चैटजीपीटी जैसे एआई चैटबॉट्स से साझा कर रहे हैं। विशेषज्ञ इसे खतरनाक मानते हैं। उनका कहना है कि यह आदत किशोरों को वास्तविक जीवन में बातचीत से दूर कर रही है। इससे उनकी सामाजिक और भावनात्मक क्षमता पर असर पड़ रहा है।
एआई चैटबॉट्स: सुरक्षित या खतरनाक?
विशेषज्ञों का कहना है कि किशोर एआई को सुरक्षित स्थान मानते हैं, लेकिन यह भ्रामक है। किशोर मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। चैटबॉट्स वही कहते हैं, जो सुनना चाहते हैं। इससे गलत सोच को बढ़ावा मिलता है। मनोचिकित्सक डॉ. लोकेश सिंह शेखावत ने बताया कि एआई जानबूझकर बातचीत को आकर्षक बनाता है। यदि कोई किशोर गलत विचार साझा करता है, तो एआई उसे सही ठहरा सकता है, जो खतरनाक है।
सामाजिक विकास पर असर
स्कूलों में किशोर आपस में मिलकर सामाजिक और भावनात्मक कौशल सीखते हैं। लेकिन चैटबॉट्स के बढ़ते उपयोग से यह प्रक्रिया बाधित हो रही है। एक स्कूल की प्रधानाचार्य सुधा आचार्य ने कहा कि किशोर फोन के साथ अकेले समय बिताने को सुरक्षित मानते हैं। लेकिन किशोर मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंच रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि चैटबॉट्स से की गई बातचीत पूरी तरह निजी नहीं होती। यह जानकारी राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत गोपनीयता जोखिम पैदा कर सकती है।
गलत सोच को बढ़ावा
एआई चैटबॉट्स की यह प्रवृत्ति किशोरों में तारीफ पाने की चाहत बढ़ा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार, बार-बार एआई के साथ बातचीत करने से किशोर गलत सोच को सच मानने लगते हैं। इससे उनकी वास्तविक जीवन में दूसरों से बातचीत करने की क्षमता कम हो रही है। किशोर मानसिक स्वास्थ्य पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव हो सकता है। विशेषज्ञ इस आदत को रोकने के लिए माता-पिता और स्कूलों से जागरूकता बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं।
