Tamil Nadu News: तमिलनाडु के तिरुपरमकुंद्रम में एक मंदिर को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। अरुलमिगु सुब्रमणिय स्वामी मंदिर में कार्तिगई दीपम जलाने को लेकर विवाद है। राज्य सरकार मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करने पर सहमति दे दी है।
इस बीच मामला संसद में भी उठा। द्रमुक नेता टीआर बालू ने हाईकोर्ट के जज के खिलाफ टिप्पणी की। इस पर हंगामा हो गया। मद्रास हाईकोर्ट ने इन टिप्पणियों को गंभीरता से लिया है। अदालत ने साफ चेतावनी दी है कि न्यायपालिका के खिलाफ ऐसी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
हाईकोर्ट ने दी सख्त चेतावनी
जस्टिस जीजयचंद्रन और जस्टिस केके रामकृष्णन की पीठ ने स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि केवल इसलिए कि जज खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दे सकते, लोगों को अदालत को उकसाना नहीं चाहिए। पीठ ने कहा कि सीमा पार हुई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि लोग उनकी सहनशीलता की परीक्षा न लें।
जस्टिस जयचंद्रन ने कहा कि हम कुछ हद तक बर्दाश्त कर सकते हैं। लेकिन हद पार होने पर कड़ा एक्शन लेंगे। उन्होंने कहा कि लोगों को पता है कि हद पार की गई है। वे उकसाते नहीं रह सकते। ऐसी टिप्पणी नहीं कर सकते। केवल इसलिए कि जजों को प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए, वे इसका फायदा नहीं उठा सकते।
मामले की पृष्ठभूमि
यह विवाद सुब्रमणिय स्वामीमंदिर में कार्तिगई दीपम जलाने को लेकर है। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने एक आदेश दिया था। इस आदेश में मंदिर प्रबंधन को तीन दिसंबर को दीप जलाने का निर्देश दिया गया। यह आदेश एकल पीठ के जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने दिया था।
इस आदेश के खिलाफ मदुरै जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। बृहस्पतिवार को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने इस अपील को खारिज कर दिया। बेंच ने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा। इसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई।
अगली सुनवाई की तारीख
मद्रास हाईकोर्ट नेएकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ लगी अपीलों पर सुनवाई की। पीठ ने इन अपीलों पर अगली सुनवाई बारह दिसंबर को करने का फैसला किया। इससे पहले पांच दिसंबर को भी इस मामले की सुनवाई हुई थी। उस दिन भी अदालत ने गंभीर टिप्पणियां की थीं।
सुनवाई के दौरान एक वकील ने बेंच को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जस्टिस स्वामीनाथन पर जातिगत आधार पर व्यक्तिगत हमले किए जा रहे हैं। यह सुनकर जस्टिस जयचंद्रन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा कि लोगों को अदालत के सब्र की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखने की अपील
पीठ नेकहा कि लोगों को यह याद रखना चाहिए कि वे न्यायपालिका को नीचा न दिखाएं। कानून तोड़ने वाले अक्सर सोचते हैं कि कोई प्रतिक्रिया नहीं होगी। अदालत ने वकीलों से अपने मुवक्किलों को समझाने को कहा। उन्हें न्यायपालिका की गरिमा बनाए रखनी चाहिए।
कोर्ट ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यह सबके लिए आखिरी रास्ता है। चाहे कोई भी व्यक्ति क्यों न हो, वे न्यायिक संस्थान का हौसला गिराते रहेंगे तो कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने कहा कि धैर्य की सीमा होती है और उसका उल्लंघन स्वीकार्य नहीं है। यह मामला अब न्यायिक प्रक्रिया और टिप्पणियों के बीच तनाव को दर्शाता है।
