Tamil Nadu News: मदुरै के कार्तिगई दीपम विवाद ने राजनीतिक रूप ले लिया है। डीएमके समेत इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष को नोटिस दिया। उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव का नोटिस सौंपा। इस नोटिस पर 120 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस पर दस्तखत किए। यह कदम जज द्वारा दिए गए एक विवादास्पद आदेश के बाद उठाया गया है। पूरा मामला थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर दीप जलाने को लेकर सामने आया है। इस स्थान की संवेदनशीलता विवाद का कारण बनी।
विवाद की जड़ क्या है?
जस्टिस स्वामीनाथन ने थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर दीपथून नामक स्थान पर आदेश दिया था। उन्होंने 4 दिसंबर को शाम 6 बजे तक कार्तिगई दीपम का दीपक जलाने का निर्देश दिया। यह स्थान सिकंदर बादूशा दरगाह के निकट है। इस कारण इसे संवेदनशील माना जाता रहा है।
तमिलनाडु सरकार ने इस आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया। प्रशासन ने कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका जताई। डीएमके ने आरोप लगाया कि जज का आदेश सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है। पार्टी का कहना है कि यह आदेश 2017 के हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले के खिलाफ है।
जज ने क्या कहा था?
जस्टिस स्वामीनाथन ने सभी आपत्तियों को खारिज किया था। उन्होंने कहा कि दीप जलाने से मुस्लिम समुदाय के अधिकार प्रभावित नहीं होंगे। जज ने यह भी कहा कि दीप न जलाने से मंदिर का जमीन पर मालिकाना हक कमजोर हो सकता है। उन्होंने सतर्कता बरतने की सलाह दी।
न्यायाधीश ने 1923 के एक पुराने फैसले का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि मंदिर प्रबंधन को गैरकानूनी कब्जों से सावधान रहना चाहिए। जज ने दावा किया कि दरगाह प्रबंधन ने पहले भी ऐसा करने की कोशिश की है। इसलिए मंदिर प्रशासन का सतर्क रहना जरूरी है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
डीएमके ने जस्टिस स्वामीनाथन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पार्टी का कहना है कि संवैधानिक पद पर बैठे न्यायाधीश पर यह आचरण शोभा नहीं देता। उनके अनुसार यह आदेश साम्प्रदायिक तनाव फैलाने वाला है। इसी आधार पर सांसदों ने महाभियोग प्रक्रिया शुरू की है।
120 सांसदों के हस्ताक्षर वाले नोटिस ने इस मामले को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को यह नोटिस सौंपा गया है। अब संसदीय प्रक्रिया के तहत इस पर आगे की कार्रवाई होगी। यह कदम न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच तनाव को दर्शाता है।
जस्टिस स्वामीनाथन कौन हैं?
जस्टिस जी. आर. स्वामीनाथन तिरुवरूर जिले के मूल निवासी हैं। वह साल 2017 में मद्रास हाईकोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने। अप्रैल 2019 में उन्हें स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। उनके कई फैसलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।
इंटरसेक्स बच्चों पर अनावश्यक चिकित्सकीय हस्तक्षेप पर रोक का उनका फैसले चर्चा में रहा। इस फैसले की सुप्रीम कोर्ट और संयुक्त राष्ट्र तक ने सराहना की थी। उनकी न्यायिक समझदारी को अक्सर उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया जाता रहा है। लेकिन वर्तमान फैसले ने विवाद खड़ा कर दिया है।
तनाव की पृष्ठभूमि
थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी का यह स्थान लंबे समय से विवादित रहा है। दीपथून स्थान मंदिर और दरगाह दोनों के नजदीक स्थित है। इस कारण यहां किसी भी धार्मिक गतिविधि को लेकर संवेदनशीलता बनी रहती है। प्रशासन ने पहले भी यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं।
तमिलनाडु सरकार ने सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखने का हवाला दिया है। राज्य सरकार का मानना है कि जज का आदेश सामुदायिक सद्भाव को खतरे में डाल सकता है। इसीलिए उसने आदेश को लागू करने से इनकार कर दिया। यह फैसला राज्य सरकार की स्वायत्तता का प्रश्न भी बन गया है।
आगे की कार्रवाई
लोकसभा अध्यक्ष के पास अब यह नोटिस पहुंच चुका है। संसदीय नियमों के अनुसार अगले चरण की प्रक्रिया शुरू होगी। महाभियोग की प्रक्रिया जटिल और लंबी होती है। इसमें कई चरणों में जांच और मतदान होता है।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सीमाओं पर यह मामला नई बहस छेड़ सकता है। देश में न्यायाधीशों के खिलाफ महाभियोग की प्रक्रिया बेहद दुर्लभ रही है। इसलिए इस मामले की हर गतिविधि पर राष्ट्रीय नजर रहेगी। राज्य और केंद्र की राजनीति भी इससे प्रभावित हो सकती है।
