India News: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी की दिल्ली प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को प्रवेश नहीं दिए जाने पर विवाद खड़ा हो गया है। शुक्रवार को हुई इस घटना के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। राजनीतिक हलकों में इस मामले को लेकर गहरी नाराजगी देखने को मिल रही है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि पुरुष पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस का बहिष्कार करना चाहिए था। चिदंबरम ने इस मामले को लैंगिक भेदभाव का गंभीर उदाहरण बताया।
विपक्षी नेताओं ने उठाए सवाल
तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने केंद्र सरकार और विदेश मंत्री एस जयशंकर पर सीधा हमला बोला। उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने तालिबान प्रतिनिधि को भारतीय धरती पर महिला पत्रकारों को बाहर रखने की इजाजत कैसे दी। मोइत्रा ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की।
मोइत्रा ने सोशल मीडिया पर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। उन्होंने पूछा कि जयशंकर ने इस स्थिति को कैसे स्वीकार किया। साथ ही उन्होंने पुरुष पत्रकारों पर भी सवाल उठाए जो प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की पृष्ठभूमि
यह प्रेस कॉन्फ्रेंस अफगान दूतावास में आयोजित की गई थी। मुत्तकी ने विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बातचीत के कुछ घंटों बाद यह संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। इस कार्यक्रम में केवल चुनिंदा पत्रकारों को ही आमंत्रित किया गया था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक भी महिला पत्रकार मौजूद नहीं थी। अधिकारियों के मुताबिक भारतीय पक्ष ने अफगान दल को सुझाव दिया था कि महिला पत्रकारों को भी आमंत्रित किया जाना चाहिए। लेकिन अफगान पक्ष ने इस सुझाव को नहीं माना।
मुत्तकी का तालिबान शासन पर बयान
मुत्तकी ने अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति पर सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि हर देश के अपने रीति-रिवाज और कानून होते हैं। उनका मानना है कि इन रीति-रिवाजों का सम्मान होना चाहिए।
अफगान विदेश मंत्री ने दावा किया कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद देश की स्थिति में सुधार हुआ है। उन्होंने बताया कि पहले हर दिन 200 से 400 लोग मारे जाते थे। मुत्तकी ने वर्तमान स्थिति को बेहतर बताया।
तालिबान शासन को अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को प्रतिबंधित करने के लिए वैश्विक आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक संस्थाओं ने भी तालिबान की नीतियों की आलोचना की है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
