National News: तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी के देवबंद दौरे ने व्यापक विवाद खड़ा कर दिया है। मुत्तकी ने ग्यारह अक्टूबर को दारुल उलूम देवबंद का दौरा किया। दारुल उलूम के प्रिंसिपल मौलाना अरशद मदनी ने उनका स्वागत किया। इस दौरे पर जावेद अख्तर समेत कई हस्तियों ने सवाल उठाए हैं।
मुत्तकी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंधित आतंकवादियों की सूची में शामिल हैं। उन्हें भारत आने के लिए संयुक्त राष्ट्र से विशेष अनुमति लेनी पड़ी। भारत ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को अभी तक मान्यता नहीं दी है। फिर भी मुत्तकी का स्वागत पूरे प्रोटोकॉल के साथ हुआ।
देवबंद में भव्य स्वागत
दारुल उलूम देवबंद में मुत्तकी के स्वागत के लिए हजारों लोग एकत्र हुए। मौलाना मदनी ने व्यक्तिगत रूप से मुत्तकी का अभिवादन किया। दारुल उलूम के करीब छह हजार छात्र इस कार्यक्रम में मौजूद थे। अनुमान है कि दस हजार से अधिक लोगों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
दारुल उलूम ने मुत्तकी को हदीस पढ़ाने की डिग्री प्रदान की। इस डिग्री का नाम कासिमी है। यह डिग्री उन्हें हदीस पढ़ाने का अधिकार देती है। मुत्तकी ने दारुल उलूम से जुड़े मदरसों में शिक्षा प्राप्त की थी।
जावेद अख्तर की आपत्ति
जावेद अख्तर ने तालिबान प्रतिनिधि के स्वागत पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि तालिबान दुनिया का सबसे खतरनाक आतंकवादी संगठन है। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा पर पाबंदी लगाने वाले लोगों का स्वागत करने पर आपत्ति जताई।
जावेद अख्तर ने सवाल किया कि जो लोग हर प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ उपदेश देते हैं, वे तालिबान प्रतिनिधि का स्वागत क्यों कर रहे हैं। उन्होंने इस पर शर्मिंदगी व्यक्त की। उन्होंने भारतीय समाज में हो रहे बदलाव पर चिंता जताई।
मौलाना मदनी का जवाब
मौलाना अरशद मदनी ने जावेद अख्तर की टिप्पणी को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि तालिबान लड़कियों को पढ़ने से नहीं रोकता। तालिबान केवल लड़के और लड़कियों के अलग-अलग शिक्षण संस्थानों का समर्थन करता है। भारत में भी ऐसे कई संस्थान हैं।
मौलाना मदनी ने कहा कि जावेद अख्तर की सोच पर उन्हें शर्म आती है। उन्होंने कहा कि ऐसी सोच से समस्याएं पैदा होती हैं। उन्होंने लड़के और लड़कियों के अलग-अलग स्कूलों की वकालत की।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अफगानिस्तान के पत्रकार हबीब खान ने इस दौरे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत को तालिबान के बढ़ते प्रभाव से चिंतित होना चाहिए। तालिबान ने आत्मघाती हमलों के जरिए सत्ता पर कब्जा किया था।
पाकिस्तान के प्रोफेसर तैमूर रहमान ने भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि भारत तालिबान को मजबूत करके वही गलती दोहरा रहा है जो पाकिस्तान ने की थी। उन्होंने इस्लामिक कट्टरता बढ़ने की आशंका जताई।
शैक्षिक स्थिति पर प्रभाव
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान में दस लाख से अधिक लड़कियां शिक्षा से वंचित हैं। तालिबान ने माध्यमिक और उच्च शिक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध लगा रखा है। मदरसे अब महिलाओं और लड़कियों के लिए शिक्षा का एकमात्र स्रोत बन गए हैं।
कुछ परिवार निजी ट्यूशन के जरिए बच्चों की पढ़ाई जारी रखे हुए हैं। मदरसों में मुख्यधारा की शिक्षा का कुछ हिस्सा शामिल है। हालांकि कई लोग मदरसों में ब्रेनवॉशिंग की आशंका जताते हैं।
मुत्तकी ने देवबंद के स्वागत को कभी न भूलने वाला बताया। उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के संबंधों के उज्ज्वल भविष्य की बात कही। यह दौरा दोनों देशों के बीच बदलते राजनीतिक समीकरणों का संकेत देता है।
