Himachal Pradesh News: मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय सतर्कता एवं निगरानी समिति की बैठक आयोजित की गई। यह बैठक 11 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद हुई है। समिति नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1995 और एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 के क्रियान्वयन पर विचार करती है। बैठक में विभिन्न विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई और समिति सदस्यों ने अपने सुझाव प्रस्तुत किए।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि यह कानून कांग्रेस पार्टी और बाबा साहेब अंबेडकर की दूरदृष्टि का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम प्रदेश में प्रभावी ढंग से लागू है। इससे समाज में सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। प्रशासनिक तंत्र को मजबूत बनाने के लिए सामाजिक न्याय विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को नोडल अधिकारी नामित किया गया है।
पीड़ितों को मिली आर्थिक मदद
मुख्यमंत्री ने बताया कि पिछले तीन वर्षों में 1,200 पीड़ितों को पुनर्वास राहत के रूप में 7.35 करोड़ रुपए वितरित किए गए हैं। साथ ही 45,238 पीड़ितों को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से निःशुल्क कानूनी सहायता प्रदान की गई। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में छुआछूत की घटनाएं अब कम रह गई हैं। राज्य सरकार ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई सुनिश्चित कर रही है।
सुक्खू ने कहा कि महात्मा गांधी ने समाज में समानता और समरसता की स्थापना के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनकी प्रेरणा से राज्य सरकार अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। सरकार का लक्ष्य समाज के सभी वर्गों का समान विकास सुनिश्चित करना है।
मंत्री शांडिल ने दी जानकारी
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. धनी राम शांडिल ने बताया कि प्रदेश की 25.19 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जातियों से संबंधित है। राज्य सरकार उनके कल्याण के लिए संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सुविधा के साथ विभिन्न सामाजिक योजनाओं के माध्यम से समाज के सभी वर्गों के बीच भाईचारे को बढ़ावा दिया जा रहा है।
मंत्री ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15, 16 और 17 के तहत छुआछूत और जातिगत भेदभाव को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। अधिनियम के उल्लंघन पर अत्याचार की गंभीरता के अनुसार सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यह कानून समान अधिकार सुनिश्चित करता है।
बैठक में उपस्थित रहे वरिष्ठ अधिकारी
इस महत्वपूर्ण बैठक में युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री यादवेंद्र गोमा, राज्य वित्तायोग के अध्यक्ष नंद लाल और कई विधायक उपस्थित रहे। मुख्य सचिव संजय गुप्ता, डीजीपी अशोक तिवारी, अतिरिक्त मुख्य सचिव श्याम भगत नेगी और निदेशक सामाजिक न्याय सुमित किमटा सहित समिति के सदस्यों और वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
बैठक में एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई। सदस्यों ने इस संबंध में अपने सुझाव दिए। समिति ने कानून के बेहतर क्रियान्वयन के लिए कई अहम निर्णय लिए। सरकार ने इस दिशा में और प्रभावी कदम उठाने का संकल्प व्यक्त किया।
