International News: भारतीय कलाकार स्वाति घोष को दक्षिण कोरिया में आयोजित विश्व शांति सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय जज के रूप में चुना गया। यह सम्मेलन 16 से 20 सितंबर तक सियोल और चियोंगजू शहरों में आयोजित किया गया। एचडब्ल्यूपीएल वर्ल्ड पीस समिट और इंटरनेशनल विमेन्स पीस ग्रुप के इस आयोजन में दुनिया भर के 800 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। स्वाति घोष इस कार्यक्रम में निर्णायक मंडल की सदस्य के रूप में शामिल हुईं।
सम्मेलन में दुनिया के केवल तीन देशों के प्रतिनिधियों को जज का सम्मान मिला। इनमें दक्षिण कोरिया, यूरोप और भारत शामिल थे। स्वाति घोष भारत की ओर से इस प्रतिष्ठित पद पर चुनी गईं। उनके सम्मान में समारोह के दौरान भारतीय तिरंगा भी प्रदर्शित किया गया। इस अवसर पर उन्हें प्रमाणपत्र और स्मृति चिह्न भी प्रदान किए गए।
शांति और सद्भाव का संदेश
स्वाति घोष ने अपने संबोधन में कला के माध्यम से शांति के प्रसार पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत का प्रतिनिधित्व करना गर्व की बात है। महिलाएं आने वाली पीढ़ी को शांति और सद्भाव की राह दिखा सकती हैं। आयोजकों ने कला और संस्कृति को शांति शिक्षा का सबसे अच्छा माध्यम बताया।
उन्हें सम्मेलन में ‘शांति के राजदूत’ के रूप में विशेष पहचान मिली। यह सम्मान भारत की अहिंसा और शांति की परंपरा को वैश्विक स्तर पर प्रस्तुत करता है। कला की कोई सीमा नहीं होती और यह सभी संस्कृतियों को जोड़ने का काम करती है। इसी विचार को सम्मेलन में मुख्य रूप से प्रस्तुत किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय मंच पर पहचान
स्वाति घोष को यह पहला अंतर्राष्ट्रीय सम्मान नहीं मिला है। वह इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ आर्ट्स फेडरेशन की पहली भारतीय महिला आर्ट जज हैं। आईसीओएम-एएसपीएसी ने उन्हें सांस्कृतिक राजदूत भी नियुक्त किया है। उनकी कलाकृतियां पैरिस और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में प्रदर्शित हो चुकी हैं।
वर्ष 2024 में उन्हें पैरिस में डिप्लोमे डी मेडल डी एटैन पुरस्कार मिला। मेडल ड’ओनर डु ट्रवाय सम्मान भी उनकी उपलब्धियों में शामिल है। ये पुरस्कार उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाते हैं। उनकी कला ने विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।
वैश्विक प्रतिनिधित्व
इस सम्मेलन में दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्षों और मंत्रियों ने भाग लिया। संसद अध्यक्षों और आध्यात्मिक नेताओं ने भी अपने विचार रखे। महिला और युवा संगठनों के प्रतिनिधियों ने शांति के लिए काम करने का संकल्प लिया। यह मंच विश्व शांति के लिए सामूहिक प्रयासों का प्रतीक था।
स्वाति घोष के चयन ने भारतीय महिलाओं के योगदान को विशेष पहचान दिलाई। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय कलाकारों की बढ़ती भूमिका स्पष्ट हुई। यह सम्मेलन शांति और सद्भाव के लिए कला की शक्ति को प्रदर्शित करता है। भारत की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मान्यता मिली।
दक्षिण कोरिया पहुंचने पर स्वाति घोष का भव्य स्वागत किया गया। उन्हें विशेष अतिथि के रूप में सम्मानित किया गया। इससे भारत और दक्षिण कोरिया के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती मिली। अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए कला एक महत्वपूर्ण माध्यम साबित हुई।
