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शनिवार, 30 सितम्बर,2023

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत आने पर संशय बरकरार, नक्शे को लेकर जारी है दोनों देशों में विवाद

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Delhi News: भारत सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है और इस दौरान दुनिया के कई बड़े देशों के राष्ट्र प्रमुख नई दिल्ली में होंगे. 9 और 10 सितंबर को मुख्य बैठक होनी है, दुनिया के कई बड़े नेताओं ने यहां आने की पुष्टि कर दी है.

लेकिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भारत आने पर अभी संशय के बादल हैं, उनकी जगह चीन के प्रीमियर भारत आ सकते हैं. ये घटनाक्रम तब हो रहा है जब दोनों देशों के बीच नक्शे को लेकर विवाद चल रहा है और बॉर्डर का बवाल पूरी तरह से अभी थमा नहीं है. आखिर दोनों देशों के बीच में ये कैसा तनाव है, पूरी कहानी जानिए…

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जी-20 में नहीं शामिल होंगे शी जिनपिंग?

भारत की ओर से जी-20 देशों के सभी राष्ट्र प्रमुखों को न्योता भेजा गया है. अमेरिका, यूके, कनाडा, मिस्र जैसे बड़े देशों के प्रमुख भारत आ रहे हैं, लेकिन रूस के व्लादिमीर पुतिन ने पीएम मोदी से फोन पर बात की और उनके ना आने के बारे में बताया. अब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के आने पर संशय के बादल हैं, अभी जानकारी है कि चीन के प्रीमियर (प्रधानमंत्री) ली क़ियांग भारत आ सकते हैं. हालांकि, चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से अभी शी जिनपिंग के कार्यक्रम की कोई पुष्टि नहीं की गई है.

नक्शे को लेकर जारी है दोनों देशों में विवाद

जी-20 का शिखर सम्मेलन ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब दोनों देशों के बीच में चीन द्वारा जारी एक कथित नक्शे को लेकर विवाद हो रहा है. चीन ने हाल ही में एक नक्शा जारी किया, जिसे स्टैंडर्ड मैप कहा गया. इसमें भारत के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दिखाया गया है, इतना ही नहीं तिब्बत और ताइवान को भी चीन ने अपने हिस्से में दिखाया है.

भारत ने चीन के इस नक्शे पर कड़ा विरोध दर्ज किया था, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि चीन की ऐसी पुरानी आदत है, जिसमें वह दूसरे देशों के स्थानों को खुद का बताता है. जयशंकर ने कहा कि ऐसे बेतुके दावों से कोई स्थान किसी का नहीं बन जाता है, इनपर ध्यान नहीं देना चाहिए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आधिकारिक बयान में कहा कि हम इन दावों को खारिज करते हैं, क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है. इस तरह के दावे बॉर्डर को लेकर जारी विवाद को और उलझाते हैं.

नक्शे पर भारत के आए आक्रामक जवाब पर चीन ने भी अपना पक्ष रखा था, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा था कि इस तरह का नक्शा जारी करना हमारी संवैधानिक प्रथा है, जो हम अपने कानून के दायरे में करते हैं. किसी को भी इसके ज्यादा अलग मायने नहीं निकालने चाहिए. बता दें कि चीन बार-बार अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोकता है, हालांकि भारत इसे नकारता रहा है. इतना ही नहीं चीन मैकमोहन लाइन को भी नहीं मानता है, जो बॉर्डर को परिभाषित करती है.

बरकरार है दोनों देशों में तल्खी!

भारत और चीन के बीच गलवान 2020 में हुए बॉर्डर विवाद के बाद से ही तल्खी जारी है. दोनों देशों के प्रमुख लंबे वक्त से द्विपक्षीय चर्चा का हिस्सा नहीं बने हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की हाल ही में साउथ अफ्रीका में हुई ब्रिक्स देशों की बैठक में अनौपचारिक मुलाकात हुई थी, जहां दोनों ने कुछ बात की थी. जबकि इससे पहले जी-7 की बैठक में भी दोनों ने हाथ मिलाया था, हालांकि ये सिर्फ अनौपचारिक मुलाकात तक सीमित रही और द्विपक्षीय वार्ता नहीं हो सकी.

गलवान 2020 के बाद से ही दोनों देशों की सेनाएं बॉर्डर पर अपने लेवल पर बात करती आई हैं. भारत की मांग है कि चीन को बॉर्डर से अपनी पूरी सेना को हटाना चाहिए, जबकि चीन इसके लिए राजी नहीं है. चीन बार-बार आक्रामक रुख अपनाता है और गलवान से पहले की स्थिति को लागू करने की मांग नहीं मान रहा है. बॉर्डर को लेकर चल रहा ये विवाद पिछले 3 साल से जारी है और इसका असर दोनों देशों के संबंधों पर पड़ता दिख रहा है.

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