शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुरेंद्र सिंह यादव: कृत्रिम पैरों के सहारे माउंट एवरेस्ट बेस कैंप तक की सफल चढ़ाई

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Himachal News: पैंतालीस वर्षीय सुरेंद्र सिंह यादव ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। उन्होंने कृत्रिम पैरों के सहारे माउंट एवरेस्ट बेस कैंप और कालापत्थर की ऊंचाई तक सफलतापूर्वक चढ़ाई की। यह बेस कैंप समुद्र तल से 5364 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। कालापत्थर की चोटी 5545 मीटर ऊंची है।

यादव ने इस उपलब्धि के बाद कहा कि पहाड़ हमें सिखाते हैं कि हार सिर्फ एक सबक होती है। यह अंत नहीं होती। उनकी यह सफलता उन सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक है जो शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यादव वर्तमान में कृत्रिम पैर की मदद से पर्वतारोहण जारी रखे हुए हैं।

पर्वतारोहण प्रशिक्षण की सफलता

सितंबर 2025 मेंसुरेंद्र सिंह यादव ने मनाली स्थित अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण संस्थान से बेसिक माउंटेनियरिंग कोर्स पूरा किया। इस कठिन प्रशिक्षण में उन्होंने भारतीय वायुसेना और सीमा सुरक्षा बल के प्रशिक्षुओं के साथ भाग लिया। उन्होंने इस प्रशिक्षण में शानदार प्रदर्शन किया।

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यह प्रशिक्षण उनके लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि वे कृत्रिम पैरों के सहारे प्रशिक्षण ले रहे थे। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और सफलतापूर्वक कोर्स पूरा किया। इस प्रशिक्षण ने उन्हें और अधिक ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार किया।

नेपाल अभियान में मिली चुनौती

पर्वतारोहण प्रशिक्षण पूराकरने के तुरंत बाद यादव ने नेपाल में आइलैंड पीक पर चढ़ाई का लक्ष्य रखा। यह चोटी 6189 मीटर ऊंची है। दुर्भाग्य से खराब मौसम के कारण यह अभियान पूरा नहीं हो सका। मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के चलते उन्हें अभियान रोकना पड़ा।

लेकिन सुरेंद्र सिंह यादव ने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्पित रहे। उन्होंने कहा कि यह सफर सिर्फ अपने लिए नहीं है। यह उन सभी लोगों के लिए है जो सोचते हैं कि शारीरिक सीमाएं सपनों को रोक सकती हैं। उनका यह दृष्टिकोण उनकी सफलता का रहस्य है।

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शारीरिक चुनौतियों के बावजूद जारी है संघर्ष

सुरेंद्र सिंह यादव काजीवन संघर्ष और सफलता की एक अनूठी मिसाल पेश करता है। कृत्रिम पैरों के बावजूद वे लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं। उनकी इस सफलता ने पर्वतारोहण जगत में नए मानदंड स्थापित किए हैं। वे साबित कर रहे हैं कि इच्छाशक्ति के आगे कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती।

उनकी यात्रा उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो किसी भी प्रकार की शारीरिक चुनौती का सामना कर रहे हैं। यादव ने दिखाया है कि सही मानसिकता और दृढ़ संकल्प के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। उनकी सफलता की कहानी सामर्थ्य और साहस की मिसाल बन गई है।

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