शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: डिजिटल अरेस्ट ठगी अपराध में आरोपियों नहीं मिलेगी जमानत, जानें किस मामले में दिया आदेश

Share

National News: सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल अरेस्ट के एक मामले में अभूतपूर्व हस्तक्षेप करते हुए सभी अदालतों को आरोपियों को जमानत देने से रोक दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने यह आदेश 72 वर्षीय महिला वकील के साथ हुई ठगी के मामले में पारित किया। आरोपियों ने महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 3.29 करोड़ रुपये की ठगी की थी।

असामान्य घटना के लिए असामान्य हस्तक्षेप

पीठ ने स्पष्ट किया कि असामान्य घटना के लिए असामान्य हस्तक्षेप की आवश्यकता होती है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि वे किसी के जीवन और स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं हैं लेकिन इस मामले में विशेष आदेश जरूरी है। ऐसे मामलों से सख्ती से निपटना चाहिए ताकि सही संदेश जाए। आरोपी विजय खन्ना और अन्य सह-आरोपी अब किसी भी अदालत से जमानत नहीं ले सकेंगे।

विधायी जमानत पर रोक

सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट आन रिकार्ड एसोसिएशन की हस्तक्षेप अर्जी पर संज्ञान लेते हुए यह आदेश पारित किया गया। एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर ने बताया कि महिला वकील की जीवन भर की जमा पूंजी चली गई है। घटना की एफआईआर के बाद गिरफ्तार आरोपी विधायी जमानत पाकर छूट सकते थे। विधायी जमानत तब मिलती है जब तय अवधि में चार्जशीट दाखिल नहीं होती।

यह भी पढ़ें:  दलित अपराध: दलित छात्र की पिटाई से मौत के मामले में पांचवां आरोपी गिरफ्तार, पहले ही जेल में है चार साथी

बुजुर्गों को निशाना बना रहे ठग

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि घोटालेबाजों ने महिला को भरोसे में लेकर उनकी एफडी तुड़वा दी। विपिन नायर ने कहा कि ठग युवाओं की बजाय बेखबर बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं। वे उनकी जीवनभर की जमापूंजी हड़प रहे हैं। पीठ ने आश्वासन दिया कि वे इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करेंगे। कोर्ट ने जल्द ही पूरे देश के लिए दिशानिर्देश जारी करने की बात कही।

न्यायमित्र की नियुक्ति

पीठ ने मामले में एनएस नप्पिनाई को न्यायमित्र नियुक्त किया है। कोर्ट जल्द ही उनसे एक विज्ञापन जारी करने को कहेगा। इस विज्ञापन के माध्यम से ऐसे अपराधों के पीड़ितों से संपर्क करने की अपील की जाएगी। इससे डिजिटल अरेस्ट अपराधों की व्यापकता का पता चल सकेगा। सुनवाई के दौरान साइबर अपराधों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय संधियों पर भी चर्चा हुई।

यह भी पढ़ें:  Noida News: OTT के नाम पर करोड़ों की ठगी, 25 साल की लड़की चला रही थी गैंग

डिजिटल अरेस्ट की विधि

डिजिटल अरेस्ट में अपराधी लोगों को कोर्ट और जांच एजेंसियों का भय दिखाकर डिजिटल रूप से प्रतिबंधित करते हैं। फिर वे पीड़ितों को पैसा ट्रांसफर करने के लिए मजबूर करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के एक पीड़ित दंपति की चिट्ठी पर स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले की सुनवाई शुरू की थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सभी डिजिटल अरेस्ट मामले सीबीआई को देने की इच्छा जताई थी।

अगली सुनवाई की तारीख

मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। इस दौरान कोर्ट डिजिटल अरेस्ट से निपटने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी कर सकता है। सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि इस मामले में पुलिस आरोपियों से 42 लाख रुपये वसूल करने की स्थिति में थी। लेकिन प्रक्रियागत समस्याओं के कारण ऐसा नहीं हो पाया। बैंक ने मजिस्ट्रेट के आदेश के बावजूद रकम जमा करने से इनकार कर दिया था।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

Read more

Related News