India News: सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद मामले में महिला IPS अधिकारी को अपने पूर्व पति और ससुर से बिना शर्त माफी मांगने का आदेश दिया। कोर्ट ने पाया कि अधिकारी ने झूठे मुकदमों में उन्हें फंसाकर जेल भिजवाया। सभी आपराधिक मामले रद कर दिए गए। कोर्ट ने विवाह भी भंग कर दिया। बेटी मां के साथ रहेगी, लेकिन पति और परिवार उससे मिल सकेंगे।
कोर्ट का कड़ा फैसला
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति ए.जी. मसीह की खंडपीठ ने कहा कि पत्नी के दायर मामलों के कारण पति को 109 दिन और ससुर को 103 दिन जेल में रहना पड़ा। कोर्ट ने इसे गंभीर बताया। महिला IPS को सार्वजनिक माफी मांगने का आदेश दिया गया। कोर्ट ने कहा कि उनके कष्ट की भरपाई संभव नहीं है। विवाह 2018 से टूटा हुआ था।
माफी का प्रकाशन
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि महिला और उनके माता-पिता एक प्रमुख अंग्रेजी और हिंदी अखबार के राष्ट्रीय संस्करण में माफी प्रकाशित करें। यह माफी बिना शर्त होगी। इसके अलावा, माफी को फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी साझा करना होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह माफीनामा दायित्व स्वीकारोक्ति नहीं माना जाएगा।
बच्ची की कस्टडी
कोर्ट ने फैसला सुनाया कि दंपति की बेटी अपनी मां के साथ रहेगी। हालांकि, पूर्व पति और उनके परिवार को बच्ची से मिलने की अनुमति दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह व्यवस्था बच्ची के हित में है। दंपति 2018 से अलग रह रहे थे। कोर्ट ने वैवाहिक विवाद को समाप्त करते हुए सभी पक्षों को राहत देने की कोशिश की।
माफी की शर्तें
महिला IPS और उनके माता-पिता को तीन दिनों के भीतर माफी प्रकाशित करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि माफीनामे का कानूनी अधिकारों या दायित्वों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह आदेश झूठे मामलों के कारण हुए नुकसान को ध्यान में रखकर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया और सभी पक्षों को स्पष्ट निर्देश दिए।
