Uttar Pradesh News: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस के एक बड़े अधिकारी पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने सोमवार को बस्ती रेंज के डीआईजी संजीव त्यागी को अपनी आवाज का नमूना (Voice Sample) देने का आदेश दिया है। यह फैसला एक विवादित ऑडियो क्लिप की जांच के लिए लिया गया है। इसके साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने क्लिप को उजागर करने वाले व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी रद्द कर दिया है।
ऑडियो क्लिप से होगा मिलान
यह पूरा मामला एक कथित आपत्तिजनक ऑडियो क्लिप से जुड़ा है। इसमें एक वर्ग विशेष के खिलाफ टिप्पणी करने का आरोप है। सुप्रीम कोर्ट ने डीआईजी की आवाज का मिलान उस क्लिप से कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और के. विनोद चंद्रन की पीठ ने दिया। जिस समय (2020) यह मामला दर्ज हुआ था, तब संजीव त्यागी एसपी के पद पर तैनात थे।
शिकायतकर्ता को मिली बड़ी राहत
याचिकाकर्ता इसलामुद्दीन अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने बिजनौर के कोतवाली थाने में अपने खिलाफ दर्ज मामले को रद्द करने की मांग की थी। अंसारी ने तर्क दिया कि उन पर गलत केस दर्ज किया गया है। उन्होंने तत्कालीन एसपी से केवल यह पूछा था कि वायरल ऑडियो में आवाज उनकी है या नहीं। इसी सवाल पर पुलिस ने उन पर केस कर दिया था। पहले हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
पुलिस की कार्रवाई पर कोर्ट नाराज
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के वकील ने अहम जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सरकार अंसारी के खिलाफ लंबित मुकदमा वापस लेने की प्रक्रिया में है। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की कार्रवाई को अदालती प्रक्रिया का दुरुपयोग बताया। कोर्ट ने तथ्यों पर चिंता जताई और बिजनौर थाने में दर्ज 2020 के केस को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया। कोर्ट ने माना कि अधिकारी ने शिकायतकर्ता के सवाल का जवाब नहीं दिया था।
हैदराबाद लैब में होगी जांच
संजीव त्यागी अभी बस्ती रेंज में डीआईजी हैं। कोर्ट ने उन्हें हैदराबाद स्थित फॉरेंसिक साइंस लैब (FSL) में आवाज का नमूना देने का आदेश दिया है। उन्हें तीन सप्ताह के भीतर एफएसएल द्वारा तय जगह और समय पर पेश होना होगा। कोर्ट ने संजीव त्यागी को नोटिस भी जारी किया है। एफएसएल निदेशक को अपनी निगरानी में जांच करानी होगी। उन्हें 31 जनवरी तक सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट सौंपनी है। मामले की अगली सुनवाई 12 जनवरी को होगी।
