शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: गिरफ्तार पर सख्त हुआ शीर्ष कोर्ट, कहा, पुलिस को देनी होगी लिखित सूचना; जानें पूरा मामला

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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी प्रक्रिया को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने कहा कि पुलिस को गिरफ्तारी के आधार की लिखित सूचना देना अनिवार्य है। गिरफ्तार व्यक्ति को इस सूचना की प्रति अपने परिवार के सदस्य या मित्र को देने का अधिकार होगा। लिखित सूचना की भाषा ऐसी होनी चाहिए जिसे गिरफ्तार व्यक्ति समझ सके।

चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ए. जार्ज मसीह की पीठ ने छह नवंबर को यह फैसला सुनाया। अदालत ने इस आदेश की प्रति सभी मुख्य सचिवों को भेजने के निर्देश दिए। इससे राज्य सरकारें इस आदेश का पालन सुनिश्चित कर सकेंगी। यह फैसला नागरिकों के अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

गिरफ्तारी के नियम

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41 से 60ए तक गिरफ्तारी से संबंधित प्रावधान हैं। नए भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में भी गिरफ्तारी के नियम शामिल हैं। पुलिस को गिरफ्तारी के समय कारण बताना अनिवार्य है। गिरफ्तार व्यक्ति के परिवार या मित्र को सूचना देना जरूरी है।

गिरफ्तारी मेमो तैयार करना भी अनिवार्य है। इसमें गिरफ्तारी का समय, स्थान और कारण दर्ज होता है। इस पर गिरफ्तार व्यक्ति और एक स्वतंत्र गवाह के हस्ताक्षर होने चाहिए। मेडिकल जांच और 24 घंटे में मजिस्ट्रेट के समक्ष पेशी भी जरूरी है।

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संवैधानिक प्रावधान

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22(1) गिरफ्तार व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा करता है। इसके अनुसार गिरफ्तार व्यक्ति को जल्द से जल्द गिरफ्तारी के कारणों की सूचना मिलनी चाहिए। उसे अपनी पसंद के वकील से परामर्श का अधिकार है। 24 घंटे के भीतर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाना अनिवार्य है।

यह अनुच्छेद मनमानी गिरफ्तारी और हिरासत से बचाने के लिए बनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट के नए फैसले ने इन प्रावधानों को और मजबूत किया है। अब पुलिस को लिखित सूचना देना अनिवार्य होगा।

विशेषज्ञों की राय

सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट अश्विनी कुमार दुबे कहते हैं कि यह फैसला संवैधानिक आदेश को मजबूत करता है। गिरफ्तारी के आधार की लिखित सूचना प्रक्रियात्मक औपचारिकता नहीं है। यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता की मौलिक सुरक्षा है। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 में यह प्रावधान पहले से है।

आपात स्थिति में तुरंत लिखित आधार नहीं दिया जा सकता। ऐसे में रिमांड के लिए पेश करने से दो घंटे पहले लिखित सूचना देना अनिवार्य होगा। गिरफ्तारी मेमो पर निष्पक्ष गवाह के हस्ताक्षर जरूरी हैं।

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पुलिस के लिए दिशा-निर्देश

पुलिस को गिरफ्तारी के समय कई नियमों का पालन करना होगा। लिखित सूचना देना, परिवार को जानकारी देना और गिरफ्तारी मेमो तैयार करना जरूरी है। हर 48 घंटे में मेडिकल जांच कराना अनिवार्य बताया गया है। यह नियम पुलिस रिमांड पर विशेष रूप से लागू होता है।

गिरफ्तार व्यक्ति के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना भी जरूरी है। उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए। नियमों का पालन न करने पर गिरफ्तारी और रिमांड अवैध हो सकती है। संबंधित पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई भी संभव है।

फैसले का महत्व

यह फैसला भारतीय लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा में महत्वपूर्ण है। इससे पुलिस की मनमानी पर अंकुश लगेगा। नागरिकों के मौलिक अधिकारों की बेहतर रक्षा हो सकेगी। पुलिस प्रशासन अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनेगा।

समाज में कानून के प्रति विश्वास बढ़ेगा। भारतीय संविधान और कानून में पहले से मौजूद प्रावधानों को सुप्रीम कोर्ट ने और स्पष्ट किया है। अब पुलिस को इन नियमों का सख्ती से पालन करना होगा।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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