Delhi News: सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की घटना एक बार फिर चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने वकील राकेश किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने न्यायालय से इस मामले को सूचीबद्ध करने की अपील की थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय को सूचित किया कि अवमानना कार्यवाही के लिए एटॉर्नी जनरल की सहमति मिल गई है। लेकिन न्यायालय ने इस मामले को अधिक तूल नहीं देने का निर्णय लिया है। न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई की।
न्यायालय ने जताई यह चिंता
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने उदारता दिखाई है। यह दर्शाता है कि संस्थान ऐसी घटनाओं से प्रभावित नहीं होते। न्यायमूर्ति बागची ने पूछा कि क्या समाप्त हो चुके मामले को फिर से उठाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि न्यायालय पहले ही काम के बोझ से दबा हुआ है।
न्यायमूर्ति बागची ने सोशल मीडिया के प्रभाव पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एल्गोरिदम नफरत और गुस्से पर काम करती हैं। ऐसी सामग्री को अधिक लाइक और हिट मिलते हैं। न्यायालय ने कहा कि इस मामले को और बढ़ावा देने की आवश्यकता नहीं है।
सोशल मीडिया पर बढ़ी चर्चा
सॉलिसिटर जनरल तुषार मे हता ने सोशल मीडिया के अनियंत्रित इस्तेमाल पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इस घटना को गर्व से बता रहे हैं। कुछ लोग आरोपी की बहादुरी की तारीफ कर रहे हैं। यह न्यायालय के सम्मान के विरुद्ध है और ऐसा नहीं चल सकता।
वकील विकास सिंह ने कहा कि यह घटना भगवान विष्णु का भी अपमान है। उन्होंने न्यायालय से सोशल मीडिया पर आ रहे टिप्पणियों के खिलाफ आदेश जारी करने की मांग की। लेकिन न्यायालय ने इस पर कोई आदेश जारी नहीं किया।
न्यायालय का संतुलित दृष्टिकोण
न्यायमूर्ति बागची ने कहा कि ब्लैंकेट आदेश से बहस और बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि न्यायालय का व्यवहार ही उसे सम्मान दिलाता है। मुख्य न्यायाधीश ने इस घटना को गैर जिम्मेदार नागरिक की हरकत बताकर नजरअंदाज कर दिया है।
न्यायमूर्ति सूर्य कांत ने कहा कि अगर न्यायालय इस मामले को उठाएगा तो हफ्तों तक चर्चा चलेगी। उन्होंने वकील विकास सिंह की चिंता को समझा और उनका सम्मान किया। लेकिन न्यायालय ने मामले को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया।
घटना की पृष्ठभूमि
यह घटना छह अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के कक्ष नंबर एक में घटी थी। उस दिन सुबह ग्यारह बजकर पैंतीस मिनट पर राकेश किशोर ने जूते उतारे। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश गवई की अध्यक्षता वाली पीठ की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को हिरासत में ले लिया था।
बाद में उन्हें छोड़ दिया गया। इस घटना के बाद से ही न्यायिक समुदाय में चर्चा शुरू हो गई थी। कई वकीलों ने इसकी निंदा की थी। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने औपचारिक रूप से अवमानना कार्यवाही की मांग की थी। लेकिन न्यायालय ने संयम बरतने का निर्णय लिया है।
