Shimla News: सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षकों की नौकरी जारी रखने और पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करना अनिवार्य कर दिया है। इस निर्णय से प्रदेश के स्कूलों में कार्यरत हजारों शिक्षकों के लिए टेट पास करना जरूरी हो गया है। एक सितंबर को आए इस फैसले से शिक्षकों में चिंता की लहर है।
कई राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर पुनर्विचार का निवेदन किया है। उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। हिमाचल प्रदेश सरकार भी इस मामले पर जल्द निर्णय लेगी।
शिक्षा विभाग की तैयारी
स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों से शिक्षकों का रिकार्ड मांगा है। इसमें पूछा गया है कि कितने शिक्षकों के पास टेट प्रमाणपत्र नहीं है। सचिव शिक्षा राकेश कंवर ने बताया कि विभाग सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अध्ययन कर रहा है।
विधि विभाग से भी इस मामले पर राय ली जा रही है। विधि विभाग की राय आने के बाद ही तय होगा कि पुनर्विचार याचिका दायर की जाए या नहीं। इस बीच सभी जिलों से आंकड़े एकत्र किए जा रहे हैं।
नियमों में छूट
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति में पांच साल से कम समय बचा है, उन्हें छूट मिलेगी। सेवानिवृत्ति के पांच साल पहले वाले शिक्षकों को यह परीक्षा पास करनी होगी। परीक्षा पास न करने वाले शिक्षकों को नौकरी छोड़नी पड़ सकती है।
इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक अकादमिक और प्रशिक्षण दोनों दृष्टि से योग्य हों। शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि बिना टेट वाले शिक्षक बच्चों की शैक्षिक नींव मजबूत नहीं कर पाते।
आगे की प्रक्रिया
शिक्षा विभाग ने जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे बिना टेट वाले शिक्षकों का रिकॉर्ड तुरंत उपलब्ध कराएं। आंकड़े आने के बाद स्थिति स्पष्ट होगी कि कितने शिक्षक प्रभावित होंगे। सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाएगी।
सभी श्रेणियों के शिक्षकों के लिए टेट पास करना अनिवार्य होगा। इससे शिक्षा व्यवस्था अधिक मानकीकृत और पारदर्शी बनेगी। शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार आएगा और छात्रों को बेहतर शिक्षा मिलेगी।
