शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: चुनाव ड्यूटी में मौत पर सख्त, बीमार कर्मचारियों को दी बड़ी राहत

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New Delhi News: देश की सर्वोच्च अदालत ने चुनावी कार्य में लगे कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। सुप्रीम कोर्ट ने बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLO) की मौतों और आत्महत्याओं पर गुरुवार को गहरी चिंता जताई। कोर्ट ने राज्यों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि कर्मचारियों का मानसिक बोझ कम किया जाए। अदालत ने चुनाव कार्य के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती का आदेश दिया है। इससे मैदानी स्तर पर काम कर रहे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।

स्टाफ बढ़ाने पर कोर्ट की फटकार

चीफ जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने राज्य सरकारों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने सवाल किया कि काम का दबाव कम करने के लिए ज्यादा भर्तियां क्यों नहीं की गईं? कोर्ट ने कहा कि जहां 10,000 स्टाफ की जरूरत है, वहां 30,000 लोग तैनात किए जा सकते हैं। इससे हर व्यक्ति के काम के घंटे कम होंगे। अदालत ने कर्मचारियों की मानसिक हालत के लिए सीधे तौर पर राज्य सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है।

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बीमार कर्मचारियों को मिलेगी छुट्टी

कोर्ट ने BLOs को छुट्टी देने के मामले में भी सख्ती दिखाई है। बेंच ने कहा कि अगर कोई कर्मचारी बीमार है या असमर्थ है, तो उसे तुरंत छुट्टी दी जाए। उसकी जगह किसी अन्य व्यक्ति को नियुक्त किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर प्रशासन राहत नहीं देता है, तो पीड़ित कर्मचारी सीधे अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है। हर छुट्टी की अर्जी पर गंभीरता से विचार करना होगा।

जेल भेजने की धमकी और 40 मौतें

यह सुनवाई एक्टर विजय की पार्टी ‘तमिलगा वेत्री कझगम’ (TVK) की याचिका पर हुई। याचिका में दावा किया गया कि देश भर में करीब 40 BLOs की मौत हो चुकी है। चुनाव आयोग पर आरोप है कि वह धारा 32 का डर दिखाकर काम करा रहा है। इस धारा के तहत काम न करने पर दो साल की जेल हो सकती है। पार्टी ने कहा कि लोग डर के कारण इस्तीफा भी नहीं दे पा रहे हैं।

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यूपी में दर्ज हुए 50 से ज्यादा केस

याचिकाकर्ता ने बताया कि अकेले उत्तर प्रदेश में BLOs के खिलाफ 50 से ज्यादा पुलिस केस दर्ज हैं। कई परिवारों के बच्चे अनाथ हो गए हैं क्योंकि माता-पिता पर काम का भारी दबाव था। याचिका में पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की मांग भी की गई है। वकील गोपाल शंकरनारायणन ने केरल और गुजरात के आंकड़े भी कोर्ट में रखे। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को इतनी सख्त कार्रवाई से रोका जाना चाहिए।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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