India News: उच्चतम न्यायालय को आज सूचित किया गया कि यमन में हत्या के मामले में मृत्युदंड पाने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर रोक लगा दी गई है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस मामले में एक नया मध्यस्थ सामने आया है और कोई प्रतिकूल कार्रवाई नहीं हो रही है।
पीठ ने इस मामले में फांसी की स्थिति के बारे में जानकारी मांगी थी। याचिकाकर्ता संगठन के वकील ने स्पष्ट किया कि फिलहाल फांसी पर रोक लगा दी गई है। अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी ने इस बात पर जोर दिया कि सबसे अच्छी बात यह है कि अभी कुछ भी प्रतिकूल नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता की ओर से मामले की सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया गया।
अदालत ने जनवरी 2026 तक स्थगित की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जनवरी 2026 तक के लिए स्थगित कर दी है। पीठ ने स्पष्ट किया कि यदि परिस्थितियों की मांग हो तो पक्षकारों के लिए शीघ्र सुनवाई के लिए आवेदन करने का विकल्प खुला रहेगा। अदालत याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि वह निमिषा प्रिया को बचाने के लिए राजनयिक माध्यमों का उपयोग करे।
निमिषा प्रिया का मामला
38 वर्षीय निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड जिले की निवासी हैं। उन्हें वर्ष 2017 में अपने यमनी व्यापारिक साझेदार की हत्या के आरोप में दोषी ठहराया गया था। वर्ष 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील खारिज कर दी गई। वह currently यमन की राजधानी सना की एक जेल में नजरबंद हैं। भारत सरकार उनकी रिहाई के लिए लगातार प्रयास कर रही है।
पिछली कार्यवाही
इससे पहले याचिका कर्ता संगठन के वकील ने 14 अगस्त को शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि निमिषा प्रिया को तत्काल कोई खतरा नहीं है। जुलाई माह में केंद्र सरकार ने अदालत को बताया था कि प्रिया की फांसी पर रोक लगा दी गई है। 18 जुलाई को केंद्र ने स्पष्ट किया था कि सरकार प्रिया की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
मां की भूमिका
याचिका कर्ता के वकील ने बताया कि निमिषा प्रिया की मां पीड़ित परिवार के साथ बातचीत करने के लिए यमन में हैं। वह दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद वहां गई हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से उन्हें यात्रा की अनुमति देने को कहा था। यह कदम पीड़ित परिवार के साथ सीधे बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
ब्लड मनी का विकल्प
याचिका कर्ता के वकील ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि शरिया कानून के तहत मृतक के परिवार को ‘ब्लड मनी’ देने पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि यदि ‘ब्लड मनी’ दे दिया जाए तो पीड़ित का परिवार प्रिया को माफ कर सकता है। यह यमन के कानून के तहत एक वैध विकल्प है जिससे मौत की सजा टाली जा सकती है।
भारत सरकार के प्रयास
भारत सरकार ने 17 जुलाई को कहा था कि वह इस मामले में पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान तक पहुंचने के लिए यमन के अधिकारियों के साथ काम कर रही है। साथ ही सरकार कुछ मित्र देशों के संपर्क में भी है। भारत सरकार ने इस मामले में गंभीरता और सक्रियता दिखाई है। विदेश मंत्रालय इस मामले को लेकर लगातार संवेदनशील बना हुआ है।
