Uttar Pradesh News: सुप्रीम कोर्ट ने वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर पर प्रशासनिक नियंत्रण के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के अध्यादेश को स्थगित कर दिया। यह रोक तब तक लागू रहेगी, जब तक इलाहाबाद हाईकोर्ट इसकी वैधता पर फैसला नहीं देता। कोर्ट ने मंदिर के संचालन के लिए उच्चस्तरीय समिति गठित करने का भी निर्णय लिया। यह समिति श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बेहतर बनाएगी।
अध्यादेश की वैधता पर हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को इलाहाबाद हाईकोर्ट को भेजा। कोर्ट ने हाईकोर्ट के 21 जुलाई और 6 अगस्त के आदेशों को रद्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया गया कि वह खंडपीठ गठित करें। यह खंडपीठ अध्यादेश की वैधता पर सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं में मंदिर की प्रबंध समिति भी शामिल है। अधिवक्ता तन्वी दुबे ने यह याचिका दायर की थी।
मंदिर कॉरिडोर परियोजना पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी देने वाले 15 मई के आदेश में संशोधन का फैसला लिया। कोर्ट ने कहा कि महत्वपूर्ण हितधारकों की राय नहीं ली गई। राज्य सरकार ने पांच एकड़ भूमि अधिग्रहण के लिए मंदिर के धन का उपयोग करने की अनुमति मांगी थी। कोर्ट ने इस प्रक्रिया की गोपनीयता और जल्दबाजी की निंदा की। भूमि अधिग्रहण देवता या ट्रस्ट के नाम पर होगा।
उच्चस्तरीय समिति करेगी मंदिर का संचालन
कोर्ट ने मंदिर के दैनिक संचालन के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित करने का निर्णय लिया। इसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। समिति में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी और गोस्वामी समुदाय के सदस्य शामिल होंगे। यह समिति श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाएगी। कोर्ट ने कहा कि समिति को सुविधाओं की खरीद का अधिकार होगा। यह कदम मंदिर प्रबंधन को पारदर्शी बनाएगा।
राज्य सरकार का पक्ष और हाईकोर्ट की टिप्पणी
राज्य सरकार ने कहा कि अध्यादेश का उद्देश्य मंदिर की बेहतर प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित करना है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने अध्यादेश पर तीखी टिप्पणी की थी। हाईकोर्ट ने 6 अगस्त को इसे ‘पाप’ करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इन टिप्पणियों को रद्द करते हुए हाईकोर्ट से निष्पक्ष सुनवाई की अपेक्षा की।
मंदिर के लिए सुविधाओं पर जोर
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि समिति श्रद्धालुओं की सुविधाओं पर ध्यान देगी। लाखों भक्त हर साल बांके बिहारी मंदिर आते हैं। समिति को बुनियादी सुविधाओं में सुधार का जिम्मा सौंपा गया है। कोर्ट ने मंदिर के धन के दुरुपयोग को रोकने पर भी जोर दिया। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि धन का उपयोग केवल श्रद्धालुओं के हित में हो।
कॉरिडोर परियोजना की अनुमति पर पुनर्विचार
15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने कॉरिडोर परियोजना के लिए राज्य सरकार की याचिका स्वीकार की थी। इससे पांच एकड़ भूमि खरीदने की अनुमति दी गई थी। कोर्ट ने अब इस आदेश पर पुनर्विचार का फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा कि हितधारकों की अनदेखी नहीं की जा सकती। यह परियोजना मंदिर के आसपास ‘होल्डिंग एरिया’ बनाने के लिए शुरू की गई थी।
