शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

सुप्रीम कोर्ट: बैंक-बीमा में फंसे 3.5 लाख करोड़ रुपये को लेकर केंद्र से मांगा जवाब; जानें पूरा मामला

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New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में लोगों को बैंक, बीमा और म्यूचुअल फंड में फंसी राशि दिलाने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने केंद्रीय पोर्टल शुरू करने का सुझाव दिया है।

इस पोर्टल के जरिए लोग अपने सक्रिय और निष्क्रिय खाते देख सकेंगे। जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है।

वित्तीय संस्थानों को नोटिस

सुप्रीम कोर्ट ने कई वित्तीय संस्थानों को नोटिस जारी किया है। इनमें भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी शामिल हैं। बीमा विनियामक प्राधिकरण को भी नोटिस मिला है। राष्ट्रीय बचत संस्थान और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन भी शामिल हैं।

पेंशन फंड विनियामक प्राधिकरण को भी जवाब देना होगा। सभी संस्थानों को चार सप्ताह का समय मिला है। वरिष्ठ वकील मुक्ता गुप्ता ने याचिकाकर्ता आकाश गोयल की तरफ से दलीलें रखीं।

चौंकाने वाले आंकड़े

याचिका में कई चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए गए हैं। देश भर में 9.22 करोड़ निष्क्रिय बैंक खाते मौजूद हैं। हर खाते में औसतन 3,918 रुपये की राशि जमा है। यह राशि लोगों के काम आ सकती है।

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बैंकों और म्यूचुअल फंडों में 3.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक बिखरे पड़े हैं। यह राशि बिना दावे के है। बीमा कंपनियों और भविष्य निधि में भी ऐसी ही राशि मौजूद है।

वास्तविक हकदारों तक नहीं पहुंच रही राशि

याचिका में बताया गया कि बड़ी राशि उन लोगों की है जिनकी मृत्यु हो चुकी है। उनके कानूनी उत्तराधिकारी इस राशि के बारे में नहीं जानते। वित्तीय संस्थानों के पास नामांकित व्यक्ति का विवरण नहीं है।

ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है जिससे लोग खुद इन परिसंपत्तियों का पता लगा सकें। इससे लोगों की मेहनत की कमाई उन तक नहीं पहुंच पा रही है। यह स्थिति चिंताजनक है।

केंद्रीय पोर्टल की मांग

याचिकाकर्ता ने आधार लिंक्ड पोर्टल बनाने की मांग की है। यह पोर्टल ई-केवाईसी पर आधारित होगा। इसमें लोगों की सभी वित्तीय संपत्तियों की जानकारी एक जगह मिलेगी। नामांकित व्यक्ति भी इस जानकारी तक पहुंच सकेंगे।

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इससे लोगों को अपनी बिखरी संपत्तियों की जानकारी मिल सकेगी। वे इन्हें दोबारा हासिल कर सकेंगे। पोर्टल की मदद से प्रक्रिया आसान हो जाएगी।

वैधानिक फंड की स्थिति

याचिका में तीन वैधानिक फंड के बारे में बताया गया है। डीईएएफ में बैंकों की बिना दावे वाली धनराशि है। आईईपीएफ में शेयर और डिविडेंड रखे जाते हैं। एससीडब्ल्यूएफ में बीमा और लघु बचत योजनाओं की राशि है।

डीईएएफ और आईईपीएफ में 1.6 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा है। यह राशि भारत के स्वास्थ्य बजट से तीन गुना अधिक है। शिक्षा बजट से यह दोगुनी है।

अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को चार सप्ताह का समय दिया है। इस दौरान केंद्र सरकार और वित्तीय संस्थान जवाब दाखिल करेंगे। कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लिया है।

अगली सुनवाई में सभी पक्ष अपने जवाब पेश करेंगे। कोर्ट आगे की कार्रवाई तय करेगा। इस मामले का लाखों लोगों पर असर पड़ सकता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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