शनिवार, दिसम्बर 20, 2025

सुप्रीम कोर्ट: संजीव धीमान ने मुख्य न्यायाधीश और उनकी मां पर की अभद्र टिप्पणियां, सोशल मीडिया पर वायरल हुए पोस्ट

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Kangra News: सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। संजीव धीमान नामक एक व्यक्ति ने देश के मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई के खिलाफ अभद्र टिप्पणियां की हैं। उसने सीजेआई और उनकी माता को लेकर आपत्तिजनक पोस्ट्स साझा कीं। यह मामला फेसबुक पर तेजी से वायरल हो रहा है।

संजीव धीमान ने मुख्य न्यायाधीश के फोटो के साथ एक और पोस्ट अपलोड की है। जिसमें संजीव धीमान ने लिखा है कि ‘इसकी माँ की झोंपड़ी में मैं भाँगड़ा करने का इच्छुक हूँ 😂😂’। इससे तो एकदम साफ हो गया है कि इससे पहले वीडियो वाली पोस्ट भी संजीव धीमान ने मुख्य न्यायाधीश को नीचा दिखाने और अपमान के उद्देश्य से डाली है।

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संजीव धीमान ने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें शराब पीते व्यक्ति के साथ CJI को जोड़ा गया। पोस्ट में उन्हें अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया गया। इसके अलावा एक अन्य पोस्ट में मुख्य न्यायाधीश की मां के बारे में अश्लील टिप्पणी की गई।

आपको बता दें कि फेसबुक पर वायरल हुई पोस्टों पर कई लोगों ने भी अभद्र टिप्पणियां की है। संजीव धीमान ने शराब पीते हुए किसी व्यक्ति का वीडियो अपलोड किया है और उस वीडियो के साथ लिखा है ‘बाबा साहब के बदौलत झुग्गियों से कोर्ट तक का सफर तय करने वाले -CJI कमिना🤭’। इस इस पोस्ट से साफ जाहिर होता है कि संजीव धीमान की मंशा मुख्य न्यायाधीश के लिए बिलकुल भी सही नहीं है।

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सोशल मीडिया पर हिंसक बयानबाजी

यह व्यक्ति खुद को हिंदू नेता बताता है और नियमित रूप से आरक्षण के खिलाफ पोस्ट करता है। उसने सुप्रीम कोर्ट को अपमानजनक शब्द कहा और कोलेजियम सिस्टम पर आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं। उसके पोस्ट में हिंसा भड़काने वाले बयान भी शामिल हैं।

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आपको बता दें कि संजीव धीमान सोशल मीडिया पर खुद को हिन्दू नेता बताता है। वह हमेशा आरक्षण के खिलाफ पोस्टें डालता है। जैसे ‘कोलेजियम हटाओ। यह दलाल नौकर है, प्रजा का मालिक नहीं। आरक्षण से ज्यादा ये हिन्दुओं को मार रहा है. #कोठा’। यह व्यक्ति इस पोस्ट में सुप्रीम कोर्ट को कोठा लिख रहा है। जोकि सुप्रीम कोर्ट का घोर अपमान है।

न्यायपालिका की अवमानना का मामला

संजीव धीमान ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की भी खुलकर आलोचना की है। एक पोस्ट में उसने बलात्कार मामले में कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए। उसने तत्काल न्याय की मांग करते हुए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया।

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सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के खिलाफ इस तरह की टिप्पणियां गंभीर चिंता का विषय हैं। न्यायपालिका की अवमानना के मामले में कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर इस तरह की सामग्री हटाने के नियम हैं।

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कानूनी परिणामों की संभावना

भारतीय दंड संहिता की धारा 499 के तहत मानहानि का मामला बन सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66A और 67A भी ऐसे मामलों पर लागू होती है। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना अधिनियम 1971 के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

सोशल मीडिया पर बढ़ते अपराधों के मद्देनजर यह मामला काफी महत्वपूर्ण है। अधिकारियों ने इस तरह की घटनाओं पर कड़ी नजर रखनी चाहिए। साइबर क्राइम सेल को ऐसे मामलों की जांच तत्काल करनी चाहिए।

सोशल मीडिया नीतियों का उल्लंघन

फेसबुक की सामग्री नीतियों के अनुसार हेट स्पीच और अभद्र भाषा की अनुमति नहीं है। प्लेटफॉर्म ऐसी सामग्री को हटा देता है जो सार्वजनिक व्यक्तियों के खिलाफ अश्लील हो। उपयोगकर्ता समझौते का उल्लंघन करने वाले खातों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।

न्यायपालिका के प्रति सम्मान लोकतंत्र की आधारशिला है। सुप्रीम कोर्ट भारत की न्यायिक व्यवस्था का सर्वोच्च संस्थान है। इसकी गरिमा को बनाए रखना सभी नागरिकों का कर्तव्य है। अब देखना यह होगा कि हिमाचल प्रदेश सरकार, हिमाचल पुलिस और हिमाचल हाई कोर्ट इस मामले में क्या कार्यवाही करते है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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