Assam News: उच्चतम न्यायालय ने असम के एक कॉलेज प्रोफेसर को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने उन्हें युवतियों के लिए खतरा और विकृत व्यक्ति बताया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने प्रोफेसर मोहम्मद जॉयनल आबेदीन को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उन्हें महिलाओं का पीछा करने और अश्लील टिप्पणियां करने की आदत है।
प्रोफेसर के नाम पर धब्बा
पीठ नेप्रोफेसर आबेदीन से सीधे कहा कि वह प्रोफेसर के नाम पर धब्बा हैं। अदालत ने कहा कि उन्हें कॉलेज में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि ऐसे व्यक्ति को आसानी से जेल से रिहा नहीं किया जा सकता। उनके सोशल मीडिया पोस्ट की भाषा देखकर अदालत आश्चर्यचकित हुई।
भारत विरोधी पोस्ट का आरोप
प्रोफेसर आबेदीन पर मई महीनेमें भारत विरोधी सोशल मीडिया पोस्ट करने का आरोप लगा था। इसके बाद उन्हें पहले हिरासत में लिया गया और फिर गिरफ्तार कर लिया गया। याचिकाकर्ता के वकील ने दावा किया कि उन्होंने अपने पोस्ट के लिए माफी मांग ली थी। वकील ने कहा कि उन्होंने पोस्ट को तुरंत हटा दिया था।
अदालत ने की तल्ख टिप्पणी
अदालत नेप्रोफेसर की गंदी सोच पर चिंता जताई। पीठ ने कहा कि वह समाज के लिए खतरा हैं। न्यायाधीशों ने वकील से पूछा कि क्या उन्हें पोस्ट की सामग्री सार्वजनिक रूप से सुनानी चाहिए। इससे हर कोई समझ सकेगा कि पोस्ट में क्या लिखा गया था। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मामलों में सख्त रुख जरूरी है।
नौकरी से हटाया जा चुका है
वकील नेअदालत को बताया कि आबेदीन को उनके कृत्य के लिए नौकरी से निकाल दिया गया है। वकील ने कहा कि अदालत कोई भी शर्त लगा सकती है और उनका मुवक्किल उसका पालन करेगा। उन्होंने अदालत से जमानत देने का अनुरोध किया क्योंकि मामले में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है। लेकिन अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया।
गिरफ्तारी के बाद से जेल में
प्रोफेसर आबेदीन को16 मई को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि वह इस बारे में निर्देश मांगें कि क्या गोसाईगांव अदालत में कोई न्यायिक अधिकारी नहीं है। अदालत ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से मामले की पड़ताल करने का अनुरोध किया।
अदालत ने दिए निर्देश
पीठ नेगुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से कहा कि वह गोसाईगांव अदालत में एक न्यायिक अधिकारी की तैनाती करें। वैकल्पिक रूप से मामले को कोकराझार जिले की सत्र अदालत को स्थानांतरित किया जा सकता है। अदालत ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि वह बाद में अंतरिम जमानत की संभावना पर विचार करेगी। इससे मामले की गंभीरता का पता चलता है।
