Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को ईडी को कानून के दायरे में काम करने की सख्त हिदायत दी। कोर्ट ने कहा कि ईडी बदमाश की तरह व्यवहार नहीं कर सकती। यह टिप्पणी 2022 के पीएमएलए फैसले की समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आई। जस्टिस सूर्यकांत, उज्ज्वल भुयान और एनके सिंह की बेंच ने कम दोषसिद्धि दर पर चिंता जताई। कोर्ट ने ईडी की छवि और स्वतंत्रता पर भी सवाल उठाए।
ईडी को कानून का पालन करने की चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी को सख्त लहजे में कहा कि वह कानून के दायरे में रहे। जस्टिस उज्ज्वल भुयान ने पूछा कि ईडी बदमाश की तरह कैसे काम कर सकती है। कोर्ट ने 2022 के विजय मदनलाल चौधरी फैसले की समीक्षा याचिकाओं पर सुनवाई की। इस फैसले ने ईडी की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्ती की शक्तियों को बरकरार रखा था। कोर्ट ने ईडी से जांच और गवाहों की गुणवत्ता सुधारने को कहा।
कम दोषसिद्धि दर पर कोर्ट की चिंता
जस्टिस भुयान ने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में 10% से कम दोषसिद्धि दर पर सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि 5-6 साल की हिरासत के बाद बरी होने की कीमत कौन चुकाएगा। कोर्ट ने कहा कि वह लोगों की स्वतंत्रता और ईडी की छवि दोनों की चिंता करता है। ईडी ने लगभग 5000 ईसीआईआर दर्ज किए, लेकिन दोषसिद्धि कम रही। कोर्ट ने ईडी से जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने को कहा।
ईसीआईआर पर बहस, पारदर्शिता की मांग
सुनवाई में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि अभियुक्तों को ईसीआईआर की प्रति देना अनिवार्य नहीं। जस्टिस भुयान ने इसे खारिज करते हुए कहा कि ईडी को पारदर्शी होना होगा। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया का सम्मान जरूरी है। 2022 के फैसले में ईसीआईआर को आंतरिक दस्तावेज माना गया था। याचिकाकर्ताओं ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ बताया। कोर्ट ने इस मुद्दे पर गहन सुनवाई तय की।
2022 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग
2022 में सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के प्रावधानों को बरकरार रखा था। इसने ईडी को व्यापक शक्तियां दीं। कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम सहित कई याचिकाकर्ताओं ने इसकी समीक्षा मांगी। याचिकाओं में कहा गया कि यह फैसला व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ है। कोर्ट ने ईसीआईआर साझा न करने और दोष के उलटे बोझ जैसे मुद्दों पर विचार करने को कहा। सुनवाई 6 अगस्त को शुरू हुई।
कोर्ट ने ईडी की कार्यशैली पर उठाए सवाल
जस्टिस सूर्यकांत की अगुआई वाली बेंच ने ईडी की कार्यशैली पर सवाल उठाए। कोर्ट ने कहा कि ईडी को जवाबदेह होना होगा। कम दोषसिद्धि दर से जांच की गुणवत्ता पर सवाल उठे। कोर्ट ने कहा कि लंबी हिरासत के बाद बरी होने से लोगों का नुकसान होता है। यह मामला व्यक्तिगत स्वतंत्रता और ईडी की विश्वसनीयता से जुड़ा है। सुनवाई को नवंबर तक स्थगित किया गया।
अगली सुनवाई का इंतजार
सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए समीक्षा याचिकाओं की सुनवाई को नवंबर 2025 तक टाल दिया। कोर्ट ने ईडी और याचिकाकर्ताओं से मुद्दों को स्पष्ट करने को कहा। जस्टिस भुयान ने जांच में सुधार और पारदर्शिता पर जोर दिया। यह मामला ईडी की शक्तियों और व्यक्तिगत अधिकारों के बीच संतुलन पर केंद्रित है। कोर्ट का फैसला पीएमएलए के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।
