India News: सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की अर्जी ठुकरा दी है। इस अर्जी में आवारा कुत्तों के मामले में राज्यों के मुख्य सचिवों की वर्चुअल उपस्थिति की अनुमति मांगी गई थी। जस्टिस विक्रमनाथ और संदीप मेहता की पीठ ने स्पष्ट किया कि मुख्य सचिवों को 3 नवंबर को अदालत में शारीरिक रूप से उपस्थित होना होगा। अदालत ने कहा कि उसके आदेशों का कोई सम्मान नहीं रह गया है।
पीठ ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि जब भी अदालत अनुपालन हलफनामा दाखिल करने को कहती है, अधिकारी चुप्पी साध लेते हैं। बिहार सरकार की अपील भी खारिज हो गई जिसमें विधानसभा चुनाव के कारण मुख्य सचिव की छूट मांगी गई थी। अदालत ने कहा कि चुनाव आयोग इसका ध्यान रखेगा।
अदालत के आदेश की अनदेखी पर नाराजगी
जस्टिस नाथ ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अदालत के आदेशों के प्रति सम्मान का भाव नहीं दिख रहा। उन्होंने कहा कि जब हलफनामा दाखिल करने को कहा जाता है तो अधिकारी बस चुप रहते हैं। इसलिए अब उन्हें व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर होना पड़ेगा। यह टिप्पणी गंभीर अनुपालन मुद्दे को उजागर करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और तेलंगाना को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को हाजिर होने का आदेश दिया है। उन्हें यह भी बताना होगा कि 22 अगस्त के आदेश के बावजूद हलफनामा क्यों नहीं दाखिल किया गया। अदालत इस मामले में गंभीर चिंता जता चुकी है।
बिहार सरकार की छूट अर्जी खारिज
बिहार सरकार ने विधानसभा चुनाव के कारण मुख्य सचिव को छूट देने की अर्जी दाखिल की थी। अदालत ने इस आधार को स्वीकार नहीं किया। पीठ ने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग इस मामले का ध्यान रखेगा। मुख्य सचिव को नियत तारीख पर अदालत में उपस्थित होना ही होगा।
यह फैसला दर्शाता है कि अदालत इस मामले में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी। आवारा कुत्तों का मामला देशव्यापी चिंता का विषय बन गया है। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इसके समाधान में गंभीरता दिखानी होगी।
हलफनामा न दाखिल करने पर फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भी आवारा कुत्तों के मामले में हलफनामा न दाखिल करने वाले राज्यों को फटकार लगाई थी। अदालत ने कहा था कि लगातार ऐसी घटनाएं हो रही हैं। इससे देश की छवि विदेशों में खराब हो रही है। यह टिप्पणी गंभीर मामले की गंभीरता को दर्शाती है।
अदालत ने कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है। सभी राज्यों को इस दिशा में कारगर कदम उठाने होंगे। संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। तभी इस समस्या का स्थायी समाधान संभव हो पाएगा।
22 अगस्त के आदेश का महत्व
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को आवारा कुत्तों के मामले का दायरा दिल्ली-एनसीआर से आगे बढ़ाया था। अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को इस मामले में पक्षकार बनाया था। नगर निगमों को संसाधनों का पूरा विवरण दाखिल करने का निर्देश दिया गया था।
इसमें पशु चिकित्सक, कुत्ते पकड़ने वाले कर्मचारी, विशेष वाहन और पिंजरों का विवरण शामिल है। इससे पशु जन्म नियंत्रण नियमों के पालन की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। अदालत ने कहा कि एबीसी नियम पूरे देश में समान रूप से लागू होते हैं।
राज्यों की जिम्मेदारी तय
अदालत ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे आवारा कुत्तों की समस्या के समाधान के लिए गंभीरता दिखाएं। संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करें। पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करें। तभी इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है।
मुख्य सचिवों की उपस्थिति इस बात का संकेत है कि अदालत इस मामले में और ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगी। सभी राज्यों को अदालत के आदेशों का पालन सुनिश्चित करना होगा। स्थानीय निकायों को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
