शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: CJI पर जूता उछालने वाले वकील के खिलाफ अवमानना मामला शुरू करने से इनकार

Share

Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ पर जूता उछालने का प्रयास करने के आरोपी वकील राकेश किशोर के खिलाफ अवमानना का मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि ऐसे व्यक्ति को इतनी तवज्जो देने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह व्यक्ति पूरी न्यायिक व्यवस्था में कोई मायने नहीं रखता है।

पीठ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने कोर्ट से वकील राकेश किशोर के खिलाफ नोटिस जारी करने की मांग की थी। उन्होंने इस मामले को संस्था के सम्मान से जोड़ते हुए कहा कि सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट का मजाक बनाया जा रहा है।

न्यायाधीशों ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि मुख्य न्यायाधीश ने स्वयं इस मामले को आगे न बढ़ाने का निर्णय लिया है। पीठ ने सवाल उठाया कि उस वकील को इतनी अहमियत क्यों दी जाए। अदालत का मानना था कि उसने मीडिया में सुर्खियां बटोरने के लिए ही यह सब किया है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि न्यायाधीश मोटी चमड़ी वाले लोग होते हैं। वे ऐसी घटनाओं से प्रभावित नहीं होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर इस मामले में कार्रवाई की गई तो वह और भी विवादास्पद बयान देगा। इससे उसे और ज्यादा प्रसिद्धि मिलेगी।

यह भी पढ़ें:  नितिन गडकरी: NHAI अफसरशाही पर बोले, 'गधा घोड़ा है' वाली मानसिकता से है परेशान

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी अदालत के इस रवैये से सहमति जताई। उनका कहना था कि सोशल मीडिया पर उस व्यक्ति को जो स्थान मिल रहा है वह अस्थायी है। मामले को आगे बढ़ाना उसे स्वयं को पीड़ित दिखाकर और अधिक ध्यान आकर्षित करने का मौका देगा।

विकास सिंह ने इसके जवाब में कहा कि यदि उसी दिन वकील को जेल भेज दिया गया होता तो वह ऐसे बयान नहीं देता। उन्होंने चिंता जताई कि उस व्यक्ति के खिलाफ कोई कार्रवाई न करना दुस्साहस को बढ़ावा देगा। इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को प्रोत्साहन मिल सकता है।

अदालत ने स्पष्ट किया कि वह भविष्य के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी करने पर विचार कर सकती है। हालांकि पीठ ने यह भी साफ कर दिया कि वह किसी एक व्यक्ति विशेष को महत्व देने के पक्ष में नहीं है। उनका दृढ़ मत था कि ऐसे लोगों को न्यायालय का समय और ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है।

यह भी पढ़ें:  Dream11: ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 के बाद ड्रीम11 ने रोके पैसे वाले मुकाबले, अब सिर्फ फ्री प्ले विकल्प

इस पूरे मामले ने न्यायपालिका की सहनशीलता और गरिमा पर महत्वपूर्ण सवाल खड़े किए हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को न्यायिक व्यवस्था की परिपक्वता के रूप में देखा जा रहा है। अदालत ने यह संदेश दिया है कि वह छोटी-छोटी बातों में उलझने के बजाय बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करती है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और अगले मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके नाम की सिफारिश केंद्र सरकार को भेजी जा चुकी है। उनकी इस टिप्पणी से न्यायिक व्यवहार की एक नई मिसाल कायम हुई है। इससे पता चलता है कि न्यायपालिका किस तरह विवादास्पद स्थितियों को संयम से संभालती है।

अदालत ने मामले को पूरी तरह से बंद नहीं किया है बल्कि भविष्य के लिए सुझाव मांगे हैं। इसका अर्थ यह है कि आवश्यकता पड़ने पर अदालत इस मामले में फिर से हस्तक्षेप कर सकती है। फिलहाल न्यायालय ने इस प्रकरण में और कार्रवाई करने से स्वयं को रोक लिया है।

Read more

Related News