शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: आवारा कुत्तों के पुनर्वास पर आदेश, पशु प्रेमियों में निराशा, रो दी याचिकाकर्ता ननिता शर्मा

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National News: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों के मामले में महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। न्यायालय ने सरकारी कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों, रेलवे स्टेशनों और बस स्टॉपों से कुत्तों को हटाकर दूसरी जगह पुनर्वास का निर्देश दिया है। इसके लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति का भी आदेश दिया गया है। यह फैसला कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए लिया गया है। इस आदेश ने कई पशु प्रेमियों को निराश किया है।

सुप्रीम कोर्ट की वकील और याचिकाकर्ता ननिता शर्मा इस फैसले से विशेष रूप से दुखी नजर आईं। मीडिया से बात करते हुए उनकी आँखों में आंसू देखे गए। उन्होंने कहा कि यह आदेश 11 अगस्त के आदेश के समान ही है। शर्मा ने कहा कि वह ईश्वरीय न्याय में विश्वास रखती हैं और बेजुबान जानवरों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए।

पशु कल्याण नियमों पर प्रभाव

ननिता शर्मा ने बताया कि एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों के तहत कुत्तों को उनके मूल क्षेत्र से हटाना वर्जित है। लेकिन कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए इस आदेश को उचित ठहराया गया है। उन्होंने इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। शर्मा ने कहा कि यह मामला सिर्फ कुत्तों तक ही सीमित नहीं है बल्कि गाय सहित अन्य जानवरों को भी प्रभावित करता है।

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उन्होंने शेल्टर होम्स में रखे जाने वाले जानवरों की स्थिति पर भी चिंता जताई। शर्मा ने कहा कि अगर जानवरों को शेल्टर में रखा जा रहा है तो उनकी हालत अच्छी होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सम्मान करती हैं लेकिन यह फैसला पीड़ादायक है। इस आदेश का पशु कल्याण संगठनों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

मेनका गांधी ने व्यक्त की चिंता

पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस फैसले पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि यह फैसला जस्टिस पारदीवाला के निर्णय से भी खराब है। मेनका गांधी ने कहा कि ऐसा निर्णय हो ही नहीं सकता जो हजारों कुत्तों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने का आदेश दे। उन्होंने व्यावहारिक कठिनाइयाँ पर सवाल उठाए।

मेनका गांधी ने पूछा कि इतने सारे कुत्तों को रखने के लिए जगह कहां से आएगी। उन्होंने कहा कि अगर यह संभव होता तो अब तक हो गया होता। इस फैसले के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों की ओर उन्होंने इशारा किया। उनका मानना है कि इस तरह के आदेश व्यावहारिक नहीं हैं और इनसे समस्या का समाधान नहीं निकलेगा।

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पुनर्वास प्रक्रिया और जिम्मेदारी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाएगी। इस अधिकारी की जिम्मेदारी होगी कि कुत्ते दोबारा उन स्थानों पर न लौटें। यह अधिकारी पुनर्वास प्रक्रिया की निगरानी भी करेगा। आदेश में सार्वजनिक स्थानों से कुत्तों को हटाने का प्रावधान है। इससे सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखा गया है।

ननिता शर्मा ने कहा कि जानवरों को नहीं पता कि उनके साथ क्या होने वाला है। उन्होंने जानवरों के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। इस फैसले के बाद अब पशु कल्याण संगठनों की ओर से और कानूनी कार्रवाई की संभावना बनी हुई है। यह मामला जानवरों के अधिकार और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की चुनौती प्रस्तुत करता है।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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