Delhi News: सुप्रीम कोर्ट में आवारा कुत्तों से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले पर बुधवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने इस मामले पर विचार करने की बात कही है। यह याचिका कॉन्फ्रेंस फॉर ह्यूमन राइट्स (इंडिया) नामक संगठन ने 2024 में दायर की थी, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी।
क्या है पूरा मामला?
संगठन ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी। हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद संगठन सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।
आज जब यह मामला CJI गवई के सामने पेश किया गया, तो उन्होंने कहा कि वे इस पर विचार करेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने 11 अगस्त को आवारा कुत्तों को आश्रय स्थलों में स्थानांतरित करने का आदेश पारित किया है।
पहले भी आ चुका है यह मामला
वकील ने न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ के मई 2024 के आदेश का भी जिक्र किया, जिसमें कहा गया था कि आवारा कुत्तों से जुड़े मामलों को संबंधित उच्च न्यायालयों में भेजा जाएगा। इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि कुत्तों की अंधाधुंध हत्या नहीं की जा सकती और अधिकारियों को मौजूदा कानूनों का पालन करना होगा ।
क्या कहा CJI ने?
मामले की सुनवाई के दौरान CJI गवई ने कहा, “मैं इस पर गौर करूंगा।” उनके इस बयान से पशु प्रेमियों को उम्मीद है कि शीर्ष अदालत इस मुद्दे पर संतुलित निर्णय लेगी।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मामला?
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे रेबीज और कुत्तों के काटने की घटनाएं भी बढ़ी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इन कुत्तों को आश्रय स्थलों में शिफ्ट करने का आदेश दिया था, लेकिन पशु अधिकार संगठनों ने इसका विरोध किया है।
अब CJI गवई के इस मामले पर विचार करने के बाद नए निर्देश आ सकते हैं, जो आवारा कुत्तों के प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा के बीच संतुलन बना सकेंगे।
