New Delhi News: देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) अब लंबित मामलों को लेकर सख्त मूड में है। भारत के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने शनिवार को अपनी प्राथमिकताएं स्पष्ट कर दी हैं। उन्होंने कहा कि अदालतों में लटके मुकदमों को निपटाना उनका सबसे बड़ा लक्ष्य होगा। सीजेआई ने यह बात हिंदुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट (HTLS) 2025 में कही। उन्होंने साफ किया कि अब लोगों को न्याय के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
मेडिएशन से मिलेगा त्वरित न्याय
सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट और निचली अदालतों में बोझ कम करने का रोडमैप साझा किया। उन्होंने ‘मेडिएशन’ (मध्यस्थता) को एक प्रमुख हथियार बताया। उनके अनुसार, अदालतों के बाहर विवाद सुलझाने से समय बचेगा। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वह एक राष्ट्रीय न्यायिक नीति पर काम कर रहे हैं। इसका मकसद न्यायिक प्रक्रिया को समयबद्ध और अनुमानित बनाना है। उनकी प्राथमिकता पेंडिंग केस का जल्द से जल्द समाधान करना है।
छह महीने का विशेष ‘मेडिएशन मिशन’
जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि उन्होंने छह महीने पहले ही एक बड़ा मिशन शुरू किया है। इसका उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट तक मामले पहुंचने से पहले ही उन्हें सुलझाना है। वे न्यायपालिका की मदद से मध्यस्थता को लोकप्रिय बनाना चाहते हैं। इससे आम लोगों को लंबी कानूनी लड़ाई से छुटकारा मिलेगा। सीजेआई ने साफ किया कि पेंडिंग केस का निपटारा अब तेजी से होगा। उन्होंने अदालतों पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए कड़े कदम उठाने के संकेत दिए हैं।
आम आदमी की आवाज बनेगी अदालत
सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर भी खुलकर बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि अदालतें केवल बड़े संवैधानिक मुद्दों के लिए नहीं हैं। यह देश के आम नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी है। उन्होंने संदेश दिया कि सर्वोच्च न्यायालय में हर व्यक्ति की आवाज सुनी जाएगी। उनका प्रयास है कि न्याय प्रणाली आम आदमी के लिए सुलभ और आसान बने।
24 नवंबर को संभाली थी कमान
जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर 2025 को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। वह ग्रामीण परिवेश से आते हैं। इसलिए उनकी कार्यशैली में आम जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता दिखती है। उन्होंने अनुच्छेद 370 और राज्यपाल की शक्तियों जैसे कई ऐतिहासिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर अहम फैसले सुनाए हैं।
