New Delhi News: केंद्र सरकार ने Supreme Court में महिला अधिकारियों के साथ भेदभाव के आरोपों को खारिज कर दिया है। मामला भारतीय वायु सेना (IAF) में शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) वाली महिला अफसरों को स्थायी कमीशन देने से जुड़ा है। सरकार ने कहा कि 2019 से अब तक 243 पुरुष और 177 महिलाओं को शामिल किया गया है। कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया है।
प्रदर्शन के आधार पर ही मिलता है कमीशन
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने Supreme Court में अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि जिन अधिकारियों को स्थायी कमीशन नहीं मिला, वे न्यूनतम प्रदर्शन मानदंड (MPC) को पूरा नहीं कर पाए थे।
- इन अधिकारियों पर 2019 की मानव संसाधन नीति के तहत विचार किया गया था।
- सिर्फ महिला होने के कारण किसी को नहीं रोका गया।
- वायु सेना को युवा और प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए कड़े नियम जरूरी हैं।
एनडीए के जरिए सीधी भर्ती शुरू
सरकार ने कोर्ट को बताया कि 2022 में मंजूरी मिलने के बाद एनडीए (NDA) के जरिए महिला अफसरों की भर्ती शुरू हो गई है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद इन्हें सीधे स्थायी कमीशन दिया जाएगा। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि Supreme Court नीति पर विचार कर सकता है, लेकिन सीमित वैकेंसी यानी कम रिक्तियों के मामले में दखल नहीं दे सकता।
19 दिसंबर तक लिखित जवाब तलब
याचिकाकर्ताओं की वकील मेनका गुरुस्वामी ने सरकार के दावों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले स्थायी कमीशन देने में उचित तरीके से नहीं देखा गया। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 19 दिसंबर तक लिखित जवाब जमा करने को कहा है। कोर्ट ने यह भी नोट किया कि सेना, नौसेना और वायु सेना में महिलाओं की समस्याएं और चुनौतियां लगभग एक जैसी हैं।
