Ujjain News: Supreme Court ने गुरुवार को उज्जैन के महाकाल लोक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने महाकाल लोक पार्किंग के लिए ली गई जमीन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी। याचिका में तकिया मस्जिद की जमीन के अधिग्रहण का विरोध किया गया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता जमीन का मालिक नहीं है। इसलिए उसे इस कार्यवाही पर सवाल उठाने का कोई हक नहीं है।
मालिक नहीं, सिर्फ कब्जाधारी हैं आप
जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। जजों ने पूछा कि आपने अधिग्रहण की मूल कार्यवाही को चुनौती क्यों नहीं दी? कोर्ट ने कहा कि आप सिर्फ वहां काबिज थे, जमीन के मालिक नहीं। Supreme Court ने कहा कि जब वैधानिक समाधान मौजूद थे, तो सीधे फैसले को चुनौती देना सही नहीं है। बेंच ने इस आधार पर सुनवाई से साफ इनकार कर दिया।
सामाजिक प्रभाव की दलील खारिज
याचिकाकर्ता के वकील हुफैजा अहमदी ने कोर्ट में दलील पेश की। उन्होंने कहा कि जमीन अधिग्रहण से पहले सामाजिक प्रभाव का आकलन नहीं किया गया। उन्होंने संविधान के अनुच्छेदों का हवाला देते हुए इसे अनिवार्य बताया। वकील ने तर्क दिया कि अवैधता के आधार पर वे सवाल उठा सकते हैं। हालांकि, Supreme Court इन तर्कों से सहमत नहीं हुआ। कोर्ट का कहना था कि प्रक्रिया का पालन न करने की बात सही नहीं है।
हाईकोर्ट ने भी ठुकरा दी थी मांग
इससे पहले मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने भी 11 जनवरी को यह याचिका खारिज कर दी थी। प्रशासन ने महाकाल लोक परिसर में पार्किंग बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण किया था। इस दौरान वहां मौजूद 200 साल पुरानी तकिया मस्जिद को हटा दिया गया था। इसके बाद मस्जिद के पुनर्निर्माण के लिए भी एक याचिका दायर हुई थी। Supreme Court ने उसे भी 7 नवंबर को खारिज कर दिया था।
