New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने खजुराहो स्थित जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति के पुनर्निर्माण की याचिका खारिज कर दी है। मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि यह मामला न्यायालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। कोर्ट ने इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का विषय बताया।
याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता सच्चे भक्त हैं तो उन्हें प्रार्थना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह एक पुरातात्विक स्थल है और एएसआई को अनुमति देनी होगी। इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर कई लोगों ने नाराजगी जताई है।
राकेश दलाल नामक याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि मुगल आक्रमणों के दौरान मूर्ति को नुकसान पहुंचाया गया था। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। याचिका में मूर्ति की मरम्मत या पुनर्निर्माण की मांग की गई थी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कोर्ट में बताया कि खजुराहो मंदिरों का संरक्षण उनकी जिम्मेदारी है। एएसआई ने कहा कि संरक्षण नियमों के तहत प्राचीन मूर्तियों को हटाकर नई मूर्तियां स्थापित करना उचित नहीं है। कोर्ट ने एएसआई के इस तर्क को स्वीकार किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने मूर्ति की तस्वीर कोर्ट के सामने पेश की। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु की मूर्ति का सिर पूरी तरह से टूट चुका है। याचिका में तर्क दिया गया कि मूर्ति को पुनः स्थापित न करना श्रद्धालुओं के पूजा के अधिकार का उल्लंघन है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला न्यायिक हस्तक्षेप का विषय नहीं है। न्यायालय ने इसे पुरातत्व विभाग के क्षेत्राधिकार में बताया।
सोशल मीडिया पर कई लोगों ने कोर्ट की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी है। कुछ लोगों ने सवाल किया कि क्या न्यायालय किसी अन्य धर्म के मामले में भी ऐसी टिप्पणी करता। एक यूजर ने सीजेआई को पत्र लिखकर टिप्पणी वापस लेने की मांग की है।
खजुराहो मंदिर परिसर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है। इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए संरक्षण नियमों का पालन आवश्यक है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर परिसर के रखरखाव का जिम्मा संभाल रखा है।
