New Delhi: जस्टिस सूर्यकांत देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बन गए हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में उन्हें शपथ दिलाई। उन्होंने हिंदी भाषा में पद और गोपनीयता की शपथ ली। जस्टिस कांत ने सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई का स्थान लिया है। गवई रविवार को ही रिटायर हुए थे।
पहले ही दिन सख्त निर्देश
पद संभालते ही CJI ने केस लिस्टिंग के तरीकों पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने वकीलों को साफ कहा कि उसी दिन केस मेंशन करने और लिस्ट करने की इजाजत नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि यह तरीका अब स्वीकार नहीं किया जा सकता। सिर्फ मौत की सजा या अभिव्यक्ति की आजादी से जुड़े मामलों में ही छूट मिल सकती है। बाकी मामलों में तय प्रक्रिया का पालन करना होगा।
लिखित में देनी होगी अर्जी
नवनियुक्त CJI ने तत्काल सुनवाई के नियम स्पष्ट कर दिए हैं। अब अर्जेंट लिस्टिंग के लिए मेंशनिंग स्लिप के जरिए लिखित आवेदन करना होगा। रजिस्ट्री पहले अर्जेंट होने के कारणों की जांच करेगी। एक वकील ने कैंटीन गिराने के मामले में तत्काल सुनवाई मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस अनुरोध को तुरंत खारिज कर दिया। जस्टिस कांत ने कहा कि जब तक विशेष हालात न हों, केस लिस्ट नहीं होगा।
15 महीने रहेगा कार्यकाल
जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 तक इस पद पर रहेंगे। उनका कार्यकाल करीब 15 महीने का है। हरियाणा के हिसार से आने वाले जस्टिस कांत ने एक वकील के रूप में करियर शुरू किया था। वे हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने जैसे कई ऐतिहासिक फैसलों में अहम भूमिका निभाई है।
