New Delhi: जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें चीफ जस्टिस (CJI) के रूप में शपथ ले ली है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 24 नवंबर को उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल 15 महीने का होगा। सुप्रीम कोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश का यह सफर हरियाणा के एक छोटे से शहर से शुरू हुआ था। लोग उनके परिवार और पृष्ठभूमि के बारे में जानने को उत्सुक हैं।
जाति और पारिवारिक पृष्ठभूमि
जस्टिस सूर्यकांत ब्राह्मण समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता मदन गोपाल शर्मा जातिगत भेदभाव के सख्त खिलाफ थे। यही वजह है कि उन्होंने अपने बेटों के नाम संस्कृत पर आधारित रखे। उनके पिता संस्कृत के शिक्षक और एक साहित्यकार थे। उन्होंने हरियाणवी भाषा में रामायण भी लिखी थी। इसके लिए उन्हें सूरदास पुरस्कार भी मिला था। जस्टिस सूर्यकांत की पत्नी सविता सूर्यकांत कॉलेज प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुई हैं।
हिसार से शुरू हुआ सफर
जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हिसार में हुआ था। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई सरकारी स्कूल से की है। रोहतक की एमडी यूनिवर्सिटी से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की। साल 1984 में उन्होंने हिसार जिला अदालत में वकालत शुरू कर दी थी। बाद में वे चंडीगढ़ शिफ्ट हो गए। वहां उन्होंने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की।
करियर की बड़ी उपलब्धियां
सूर्यकांत साल 2000 में हरियाणा के सबसे युवा एडवोकेट जनरल बने थे। उस वक्त उनकी उम्र काफी कम थी। साल 2004 में वे हाईकोर्ट के जज बने। इसके बाद 2018 में उन्हें हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। साल 2019 में वे सुप्रीम कोर्ट के जज नियुक्त हुए। अपने कार्यकाल में उन्होंने अनुच्छेद 370 जैसे कई ऐतिहासिक मामलों में फैसला सुनाया है।
पढ़ाई के प्रति समर्पण
जज बनने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। साल 2011 में उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से एलएलएम किया। इस परीक्षा में उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया। वे सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए भी कई शैक्षणिक कमेटियों से जुड़े रहे हैं। उनकी दो बेटियां फिलहाल अपनी पढ़ाई पूरी कर रही हैं। उनका पूरा परिवार शिक्षा जगत से गहरा नाता रखता है।
