शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

Supreme Court: जस्टिस सूर्यकांत बने देश के 53वें CJI, आर्टिकल 370 और पेगासस पर दिए थे ऐतिहासिक फैसले

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New Delhi: जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद की शपथ दिलाई। इस ऐतिहासिक पल के गवाह सात देशों के चीफ जस्टिस भी बने। जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल लगभग 15 महीने का होगा। उन्होंने जस्टिस बीआर गवई का स्थान लिया है। वे अपने साहसिक फैसलों के लिए Supreme Court में अलग पहचान रखते हैं।

हरियाणा के हिसार से शीर्ष पद तक का सफर

जस्टिस सूर्यकांत का जन्म 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में हुआ था। वे एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उन्होंने कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई में गोल्ड मेडल हासिल किया। उनका सफर एक छोटे शहर की अदालत से शुरू हुआ था। वे 2018 में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए।

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ये हैं जस्टिस सूर्यकांत के 5 बड़े फैसले

जस्टिस सूर्यकांत ने अपने कार्यकाल में संविधान और नागरिक अधिकारों से जुड़े कई अहम निर्णय लिए हैं।

1. आर्टिकल 370 पर मुहर

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र सरकार के फैसले को उन्होंने वैध ठहराया था। वे 11 दिसंबर 2023 को ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाली पांच जजों की बेंच का हिस्सा थे।

2. राजद्रोह कानून पर रोक

उन्होंने राजद्रोह कानून (124A) के इस्तेमाल पर रोक लगाने में मुख्य भूमिका निभाई। बेंच ने सरकार को इस कानून की समीक्षा होने तक नई एफआईआर दर्ज न करने का निर्देश दिया था। यह अभिव्यक्ति की आजादी के लिए बड़ा कदम था।

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3. पेगासस जासूसी मामला

पेगासस मामले में जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार को कड़ा संदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर किसी को भी ‘फ्री पास’ नहीं मिल सकता। Supreme Court ने तब एक स्वतंत्र जांच कमेटी बनाई थी।

राज्यपाल की शक्तियों पर स्पष्टता

जस्टिस सूर्यकांत ने हाल ही में राज्यपालों और राष्ट्रपति की शक्तियों पर भी स्थिति साफ की है। नवंबर 2025 में एक फैसले में बेंच ने कहा कि न्यायपालिका विधेयकों पर फैसले के लिए समय-सीमा तय नहीं कर सकती। हालांकि, बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि लंबे समय तक फैसले न लेने पर कोर्ट समीक्षा कर सकता है। इसके अलावा, उन्होंने बिहार में 65 लाख वोटरों के नाम कटने के मामले में भी पारदर्शिता के आदेश दिए थे।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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