शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: रिटायरमेंट से पहले ‘सिक्सर’ मारते हैं जज, CJI ने की सख्त टिप्पणी

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New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के कामकाज को लेकर एक बड़ी और सख्त टिप्पणी की है। चीफ जस्टिस (CJI) सूर्यकांत ने जजों के रिटायरमेंट से ठीक पहले ताबड़तोड़ फैसले देने की आदत पर चिंता जताई है। उन्होंने इसे एक “बढ़ती हुई प्रवृत्ति” बताया है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ मध्य प्रदेश के एक जिला जज की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस जज को रिटायर होने से कुछ दिन पहले ही निलंबित किया गया था। सीजेआई ने कहा कि जज ने रिटायरमेंट से ठीक पहले “सिक्सर” मारना शुरू कर दिया, जो दुर्भाग्यपूर्ण है।

विवादित आदेशों पर हुआ था निलंबन

मामले की सुनवाई सीजेआई सूर्यकांत और जस्टिस जोयमल्या बागची की पीठ कर रही थी। याचिकाकर्ता मध्य प्रदेश के एक मुख्य जिला जज थे। उन्हें 30 नवंबर को रिटायर होना था। लेकिन, 19 नवंबर को ही उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। उन पर आरोप है कि उन्होंने दो विवादित न्यायिक आदेश पारित किए थे। याचिकाकर्ता के वकील विपिन सांघी ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जज का करियर शानदार रहा है। उन्हें गोपनीय रिपोर्ट में अच्छी रेटिंग मिली थी। वकील ने सवाल उठाया कि किसी फैसले के आधार पर जज को कैसे सस्पेंड किया जा सकता है?

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बेईमानी पर होगी कार्रवाई

वकील की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट की। कोर्ट ने माना कि गलत आदेश देने पर किसी न्यायिक अधिकारी को सस्पेंड नहीं किया जा सकता। गलत फैसले को ऊपरी अदालत में सुधारा जा सकता है। लेकिन, अगर आदेश साफ तौर पर बेईमानी से दिए गए हों, तो मामला अलग है। पीठ ने कहा कि रिटायरमेंट के वक्त ऐसे आदेश देने का चलन बढ़ा है। सीजेआई ने तल्ख लहजे में कहा कि वे इस पर ज्यादा विस्तार से नहीं बोलना चाहते।

अब 2026 में होंगे रिटायर

सुनवाई के दौरान एक नया मोड़ भी आया। सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर को राज्य सरकार को रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का निर्देश दिया था। अब मध्य प्रदेश में रिटायरमेंट की उम्र 62 वर्ष हो गई है। इस कारण संबंधित जज का कार्यकाल भी एक साल बढ़ गया है। वे अब 30 नवंबर 2026 को रिटायर होंगे। सीजेआई ने कहा कि जब जज ने वे आदेश दिए, तब उन्हें कार्यकाल बढ़ने की जानकारी नहीं थी।

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हाईकोर्ट जाने की नसीहत

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि वे सीधे यहां क्यों आए? उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती क्यों नहीं दी? वकील ने कहा कि यह ‘फुल कोर्ट’ का फैसला था, इसलिए उन्हें वहां निष्पक्ष सुनवाई की उम्मीद नहीं थी। पीठ ने इस तर्क को खारिज कर दिया। कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि जज ने आरटीआई (RTI) का सहारा लिया। कोर्ट ने कहा कि एक वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी से ऐसी उम्मीद नहीं की जाती। अंत में कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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