शुक्रवार, दिसम्बर 19, 2025

सुप्रीम कोर्ट: लॉ के अंतिम वर्ष के छात्र पर भड़के जज, कहा- पहले पढ़ाई पूरी करो; जानें पूरा मामला

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Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक लॉ छात्र पर कड़ी नाराजगी जताई है। छात्र ने संविधान (अनुसचित जाति) आदेश, 1950 को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने छात्र को फटकार लगाते हुए कहा कि पढ़ाई पर ध्यान दो।

जस्टिस सूर्यकांत ने स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि पहले अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी करो। वरना हम तुम्हारे खिलाफ कठोर दंड की कार्रवाई करेंगे। कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।

मीडिया में दिखने का क्रेज

जस्टिस सूर्यकांत ने छात्र के इरादों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता मीडिया का ध्यान आकर्षित करना चाहता है। मीडिया में दिखने का क्रेज इतना बढ़ गया है कि तुमने पढ़ाई पूरी किए बिना ही याचिका दायर कर दी। यह बिल्कुल उचित नहीं है।

कोर्ट ने पूछा कि 1950 का आदेश आज 2025 में चुनौती दे रहे हो। पढ़ाई पूरी करने से पहले ही तुम्हें यह आवश्यकता क्यों महसूस हुई। जब छात्र ने हां में जवाब दिया तो जज और अधिक नाराज हो गए।

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लाइव लॉ की रिपोर्ट

लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार सुनवाई की शुरुआत में कोर्ट ने याचिकाकर्ता से उसके व्यवसाय के बारे में पूछा। छात्र ने खुद को लॉ का थर्ड ईयर का छात्र बताया। इस पर जस्टिस ने हैरानी जताई। उन्होंने पूछा कि पढ़ाई पूरी करने के बजाय यह याचिका क्यों दायर की।

जस्टिस ने कहा कि यह आदेश 1950 में लागू हुआ था। आज हम 2025 में हैं। तुम्हें अचानक लगा कि कानून की पढ़ाई पूरी करने से पहले ही इस आदेश को चुनौती दे दो। यह तर्कसंगत नहीं लगता।

कोर्ट ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को तुच्छ करार देते हुए खारिज कर दिया। जस्टिस ने छात्र को स्पष्ट निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जाओ और अपनी पढ़ाई पूरी करो। अभी तुम्हारा फोकस शिक्षा पर होना चाहिए। बिना तैयारी के ऐसे गंभीर मामले नहीं उठाने चाहिए।

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कोर्ट ने कहा कि यदि तुमने इस तरह की गतिविधियां जारी रखीं तो हम कठोर दंडात्मक कार्रवाई करेंगे। न्यायालय का समय बर्बाद करना गंभीर मामला है। छात्र को अपनी प्राथमिकताएं तय करनी चाहिए।

कानूनी शिक्षा पर जोर

यह मामला कानूनी शिक्षा के महत्व को रेखांकित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि बिना उचित तैयारी के गंभीर कानूनी मामले नहीं उठाए जाने चाहिए। छात्रों को पहले अपनी शिक्षा पूरी करनी चाहिए। उसके बाद ही ऐसे जटिल मामलों में कदम रखना चाहिए।

न्यायालय ने छात्र को सीधे तौर पर समझाया कि मीडिया की चकाचौंध से दूर रहें। पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करें। यह फैसला सभी लॉ छात्रों के लिए एक सबक है। उन्हें अपनी ऊर्जा सही दिशा में लगानी चाहिए।

Poonam Sharma
Poonam Sharma
एलएलबी और स्नातक जर्नलिज्म, पत्रकारिता में 11 साल का अनुभव।

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