New Delhi News: दहेज प्रथा को लेकर Supreme Court ने सोमवार को बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि दहेज प्रथा को खत्म करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। सुनवाई के दौरान जजों ने माना कि मौजूदा कानून पूरी तरह प्रभावी नहीं हैं। कई बार इनका गलत इस्तेमाल भी होता है। इसके बावजूद यह सामाजिक बुराई हर जगह फैली हुई है। न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इसे रोकने के लिए सख्त निर्देश जारी किए हैं।
24 साल पुराने मामले पर फैसला
Supreme Court ने यह टिप्पणी 24 साल पुराने एक दहेज हत्या मामले में फैसला सुनाते हुए की। कोर्ट ने कहा कि दहेज कानून (IPC की धारा 304-B और 498-A) का पालन सही ढंग से होना चाहिए। बेंच ने हाई कोर्ट्स को निर्देश दिया कि वे पेंडिंग मामलों की सूची बनाएं। पुराने और नए मामलों का पता लगाकर उनका जल्द निपटारा किया जाए। कोर्ट ने साफ कहा कि शादी में दोनों पक्ष एक बराबर होते हैं। कोई भी किसी के अधीन नहीं होता है।
कानून का दुरुपयोग और कमजोरी
अदालत ने माना कि कानून कमजोर होने से दहेज की कुप्रथा जारी है। वहीं, कुछ लोग धारा-498A का इस्तेमाल निजी बदला लेने के लिए करते हैं। Supreme Court ने कहा कि कानून के असर और दुरुपयोग के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। यह एक अजीब स्थिति पैदा करता है। कोर्ट ने कहा कि कई बार असली गुनहगार बिना सजा के बच जाते हैं। वे खुलेआम दहेज मांगते हैं। इसलिए इस समस्या का तुरंत समाधान होना चाहिए।
यूपी सरकार की अपील पर सुनाई सजा
यह मामला उत्तर प्रदेश का था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2001 के एक केस में आरोपियों को बरी कर दिया था। यूपी सरकार ने इसके खिलाफ अपील की थी। Supreme Court ने हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया। कोर्ट ने आरोपियों की सजा बहाल कर दी। हालांकि, 94 साल की बुजुर्ग महिला को जेल नहीं भेजा गया। वहीं, दोषी पुरुष को चार हफ्ते में सरेंडर करने को कहा गया है। उसे उम्रकैद की सजा काटनी होगी।
सिलेबस में बदलाव के निर्देश
बेंच ने केंद्र और राज्य सरकारों को एक अहम सुझाव दिया है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल और कॉलेज के सिलेबस में बदलाव होना चाहिए। आने वाली पीढ़ी को दहेज के खिलाफ जागरूक करना जरूरी है। Supreme Court ने कहा कि बच्चों को सिखाया जाए कि शादी कोई व्यापार नहीं है। राज्यों को दहेज निषेध अधिकारी नियुक्त करने के भी निर्देश दिए गए हैं। इन अधिकारियों की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाई जानी चाहिए।
हर धर्म में फैल गई है यह बुराई
कोर्ट ने पुलिस और जजों की ट्रेनिंग पर भी जोर दिया। Supreme Court ने कहा कि अधिकारियों को असली और झूठे मामलों में फर्क करना आना चाहिए। बेंच ने यह भी कहा कि दहेज सिर्फ हिंदुओं की समस्या नहीं है। यह दूसरे धर्मों में भी फैल चुका है। कोर्ट ने उदाहरण दिया कि इस्लाम में दहेज पूरी तरह मना है। वहां ‘मेहर’ का नियम है। इसके बावजूद यह कुप्रथा अलग-अलग समुदायों में अपनी जड़ें जमा चुकी है।
