New Delhi News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम (SC/ST Act) पर एक अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई अपराध घर के अंदर होता है, तो वह ‘सार्वजनिक दृश्य’ (Public View) नहीं माना जाएगा। इस आधार पर कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट की कार्यवाही को रद्द कर दिया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि सामान्य अपराध की धाराओं में केस चलता रहेगा।
IPC की धाराओं में जारी रहेगी जांच
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने यह आदेश दिया। पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जुलाई वाले आदेश को पलट दिया। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत मामला चलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि घर की चारदीवारी के भीतर हुई घटना एससी/एसटी एक्ट के दायरे में नहीं आती है।
निचली अदालत ने भेजा था समन
निचली अदालत ने इस मामले में आरोपियों को एससी/एसटी एक्ट के तहत समन जारी किया था। इसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा था। हाई कोर्ट ने माना था कि शिकायतकर्ता के बेटे के साथ मारपीट सार्वजनिक सड़क पर हुई थी। इसलिए यह घटना एससी/एसटी एक्ट के तहत अपराध मानी गई। हाई कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया था।
घर के अंदर गाली देना ‘पब्लिक व्यू’ नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने मामले के तथ्यों की बारीकी से जांच की। कोर्ट ने पाया कि शिकायतकर्ता ने अपनी पहली शिकायत में कुछ और कहा था। शिकायत के अनुसार, जातिवादी गालियां और अपशब्द घर के परिसर (Premises) के अंदर दिए गए थे। कोर्ट ने कहा कि यह जगह ‘सार्वजनिक दृश्य’ के अंतर्गत नहीं आती है। इसलिए प्रथम दृष्टया यह एससी/एसटी एक्ट की कानूनी शर्तों को पूरा नहीं करता है।
